सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ हद तक जवाबदेही है, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जवाबदेही शून्य है। वहीं, उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि इन दिनों जजों पर हमले बढ़ रहे हैं। बिना किसी सुरक्षा या सुरक्षा के आश्वासन के जजों को उसी समाज में रहना होगा, जिस समाज में उन्होंने लोगों को दोषी ठहराया है।
जजों को नहीं दी जाती वैसी सुरक्षा- सीजेआई
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने शनिवार को झारखंड की राजधानी रांची में एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा, “राजनेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और अन्य जन प्रतिनिधियों को अक्सर उनकी नौकरी की संवेदनशीलता के कारण रिटायरमेंट के बाद भी सुरक्षा दी की जाती है। विडंबना यह है कि जजों को वैसी सुरक्षा नहीं दी जाती है।”
ज्यादा दबाव वाले मामलों को प्राथमिकता देना होगा
उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसा लगता है कि जजों का जीवन काफी आरामदायक होता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है क्योंकि जज को दिन-रात मेहनत करके ही लोगों को न्याय प्रदान करना पड़ता है। सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका जितनी सुदृढ़ होगी लोकतंत्र उतना ही मजबूत होगा क्योंकि पहले जज को केवल विवाद का निपटारा करना होता था। लेकिन वर्तमान समय में समाज का हर वर्ग अपनी हर समस्या पर जजों की तरफ देख रहा है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि जज सामाजिक वास्तविकताओं से आंखे नहीं मूंद सकते हैं। जजों को समाज को बचाने और संघर्षों को टालने के लिए ज्यादा दबाव वाले मामलों को प्राथमिकता देना होगा।