देश की राजनैतिक स्थिति अब ऐसी हो गयी है की जहाँ विकास और आम आदमी की जमीनी जरूरतों पर खुली बहस करने के बजाय, नरेन्द्र मोदी को हराने के लिए विपक्ष के कई दल एक साथ एकजुट होना चाह रहें है | सभी के पास राजनैतिक अनुभव और अपने दांव है जिसके लिए एक पार्टी दुसरें से एक जुट होने की अपील कर रही है | अधिकांश राजनैतिक पार्टियों की यह पहली प्राथमिकता है की नरेन्द्र मोदी को हराना है | पर क्या किसी पार्टी के पास नरेन्द्र मोदी की कार्य प्रणाली से बेहतर नीतियाँ और कार्य विधि है ? कोई भी सीधा और सटीक जबाब नहीं देगा | जिन्होंने दशकों देश पर शासन किया और वो पार्टियाँ जो राज्य स्तर पर शासन करके जनता के मंसूबो पर फेल हो चुकी है उन्हें भी नरेन्द्र मोदी को हराना है | भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक राजनैतिक इतिहास को टटोलने पर आपको चुनिन्दा लोग ही मिलेगे जिनका प्रभाव पार्टी से बड़ा और लोकप्रिय, सभी जगह स्वीकार्य हो जैसा की वैश्विक स्तर पर नरेन्द्र मोदी की बन चुकी है | हालिया नार्थ-इस्ट चुनाव परिणाम जी20 बैठक का नेतृत्व करना, मोदी की स्वीकार्यता को स्वयं बयां कर रहा है | जिस पार्टी ने पांच दशकों से अधिक समय तक देश में शासन किया उनकी उपलब्धियों की तुलना नरेन्द्र मोदी की एक दशक से कम अवधि की उपलब्धियों से करें तो नरेन्द्र मोदी की कार्य प्रणाली हर मोर्चे पर बहुत प्रभावशाली दिखाई पड़ती है | बेहद खास बातों में से एक बात का जिक्र नरेन्द्र मोदी की सरकार की करना जरुरी है कि यह देश की पहली ऐसी सरकार है जिसने 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी की जरूरतों और विकास के लिए वैश्विक मानकों के स्तर पर लाने का कार्य कर रही है |
आज देश में नरेन्द्र मोदी सरकार की एक दो नहीं बल्कि अनेकों ऐसी योजनायें है जिसका नाम प्रत्येक आम आदमी की जुबान पर है | विश्व बैंक की नीतिगत अनुसन्धान कार्यसमिति के अनुसार – भारत में वर्ष 2011 से 2019 के बीच अत्यंत गरीबी दर में 12.3 प्रतिशत की गिरावट आई है | वर्ष 2011 में अत्यंत गरीबी 22.5 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2019 में 10.02 प्रतिशत हो गयी | नगरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रो में अत्यंत गरीबी तेजी से घटी है | वर्ष 2014 तक देश में राजमार्गो की लम्बाई 91,287 किलोमीटर थी जिसे नरेन्द्र मोदी सरकार ने नवम्बर 2022 तक तेजी से कार्य करके 1,44,634 किलोमीटर कर दिया है यानि की कुल 53,347 किलोमीटर की वृद्धि किया है | रोटी,कपड़ा,मकान की जमीनी जरूरतों से कही आगे बढ़ कर इस सरकार ने देश की पिछड़ी और ग्रामीण आबादी को मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य किया है | आज आम जनता के पास जितने विकल्प मौजूद है क्या इसके पूर्व कभी कोई सोच सकता था ? बात सिर्फ कार्यों और विकास की बात के साथ – साथ यह भी जरुरी है की आखिर क्यों देश के श्रेष्ठतम प्रधानमंत्रियों में से एक नरेन्द्र मोदी के लिए तीखी भाषा और शब्दावली का प्रयोग किया गया है क्या यह देश के संविधान, आम जनता का अपमान नहीं है ? एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने देश के लिए सब कुछ त्याग दिया और बिना रुके बिना थके लगातार देश की पक्ति में सबसे पीछे खड़े आदमी को केंद्र बिंदु में रखकर कार्य कर रहा है और उसका अपमान कितना उचित है ? एक बार विधायक और सांसद हो जाने के बाद लोगों की कितनी सम्पत्तियां बन जाती है यह किसी से छिपा नहीं है, जबकि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री जैसे पद के बावजूद आज तक कोई एक झूठा आरोप भी नहीं लगा सका है | वजह न केवल नैतिक रूप से बल्कि समर्पित रूप से सिर्फ और सिर्फ देश सेवा के लिए कार्य करना है |
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री, हो या फिर हिडेनबर्ग की रिपोर्ट इनकों आगामी 2024 के चुनाव से जोड़कर देखा जाना बिलकुल उचित है क्योंकि देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भारत का अहित चाहने वाले लोगों की कमी नहीं है | विगत कुछ समयावधि में मोदी को लेकर प्रयोग किये गए शब्दों में से है – जल्लाद, दंगाई, मानसिकरूप से असंतुलित, चाय-पकौड़े बेचने वाला, अनपढ़ और गदहा, राजनीतिक दलाल, नालायक, खिसियानी बिल्ली, एनाकोंडा, धोबी का कुत्ता, दुर्योधन, हिमालय जाकर हड्डियां गलाए, खाल उधेड़वा देगे, हाथ और गला काटेगे, वैशाखनंदन, बेशर्म तानाशाह, सबसे बड़ा रावण, यमराज, हिजड़ा, चूहे का बच्चा, फ़तवा, जालिम, कायर और मनोरोगी, खून का सौदागर इत्यादि | चौकाने वाली बात यह है की यह भाषा शैली राजनेताओं की है जिनमे से कई मुख्यमंत्री रह चुकें है और इनमे से कई अभी भी मुख्यमंत्री है | इन सब की राजनैतिक इच्छा और बेचैनी आसानी से समझी जा सकती है | देश के प्रधानमंत्री जिन्होंने देश पर सब कुछ न्योछावर कर दिया क्या उनका यह अपमान आम जनता कभी भूल सकेंगी ?
अब पुनः विषय की मुख्यवस्तु पर आता हूँ की क्या 2024 लोकसभा चुनाव के लिए नरेन्द्र मोदी से बेहतर विकल्प देश के लिए उपलब्ध है ? इसका सीधा जबाब आप अपने आस-पास टटोल सकतें है और स्वयं मूल्यांकित कर सकतें है | एक ऐसा नेतृत्व जिसने आम जनता के लिए कार्य करके राजनैतिक मुद्दों जिनपर वोट बैंक तैयार किया जाता था लगभग न के बराबर कर दिया | शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, खाद्यान, आवास, निर्माण, रोजगार, नियंत्रण, सुरक्षा, पारदर्शिता समेत अनेकों क्षेत्र में बड़े कार्य करके अपनी मजबूत इच्छा शक्ति का परिचय दिया है | इस आधार पर कहा जा सकता है की आगामी लोक सभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी से बेहतर विकल्प फिलहाल देश के लिए अभी नहीं है | विपक्ष पार्टियों की टीस और सत्ता पाने की बेचैनी जरुर समय- समय पर जनता के सामने दिख रही है और यही कारण है की अमर्यादित और सामाजिक रूप से स्वीकार न किये जाने वाले शब्दों का चयन विपक्षी नेताओं द्वारा लगातार किया जा रहा है | जनता की समझ और जरूरत दोनों में यह बात निहित अभी के स्वरुप में दिख रही है की आगामी लोकसभा चुनाव के विजेता मोदी रहेगे |
नोट- उपरोक्त्त आलेख लेखक के अपने निजी विचार हैं, मिशन सन्देश/संपादक का सहमत होना जरूरी नहीं, और न ही हम इसका समर्थन/विरोध करते हैं,