Advertisement
छत्तीसगढ़जनता के विचार

बुरा न मानो डैमोक्रेसी है! (व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा)

विपक्ष वालों की यही प्राब्लम है। खेलने चले आते हैं, पर जरा सी खेल भावना नहीं है। बताइए, त्रिपुरा में पहले तो भगवा पार्टी को जीतने ही नहीं दे रहे थे। जैसे-तैसे कर के बेचारों को जीत मिली है, तो इन्हें उनके जीत का जश्न मनाने में प्राब्लम है। जश्न मनाने से नहीं रोक सकते, तो इस पर झिकझिक कि जश्न वैसे मनाओ, ऐसे क्यों मनाते हो। जश्न मनाना ही है तो अपने घर पर मनाओ, विरोधियों के घर, दूकान, दफ्तर क्यों जलाते हो! एक तो जश्न जीत का और उस पर जीत होली से ठीक पहले; कुछ जलाएंगे भी नहीं, तो खुशी मनाएंगे कैसे? डैमोक्रेसी-डेमोक्रेसी खेलने चले हो, तो विपक्षियो तुम भी तो जरा खेल भावना दिखाओ — बुरा न मानो डैमोक्रेसी है!

पर त्रिपुरा तो देश के कोने में है। और जीत का जश्न भी नया है। पिछले पांच साल में न सही, अगले पांच और साल में सही, विरोधियों को हो जाएगी भगवाइयों के हर जश्न में होली मनाने की आदत। पर दिल्ली तो देश की राजधानी है। सारी दुनिया की नजरों में है। पर मजाल है, यहां विरोधी, भगवा पार्टी वालों को, सवा चार साल पुरानी जीत तक का जश्न मजेे से मनाने दें। सीबीआइ ने जरा सा डिप्टी चीफ मिनिस्टर सिसोदिया को गिरफ्तार क्या कर लिया, हाय-हाय कर-कर के पट्ठों ने भगवाइयों की होली का मजा किरकिरा करा दिया। बेचारे, घर-मोहल्ले में होली मनाते या सीबीआइ की हाय-हाय के जवाब में, सिसोदिया की हाय-हाय कर के दिखाते। इसी में होली निकल गयी, पर जवाबी हाय-हाय करने की बेचारों की ड्यूटी बदस्तूर जारी है। सीबीआइ हाय-हाय का जवाब देने से फुर्सत मिली नहीं, कि ईडी हाय-हाय के जवाब की ड्यूटी चालू हो गयी। इधर सिसोदिया, उधर लालू-राबड़ी, विंध्य के पार कविता वगैरह। होली-दिवाली, बेचारे जवाबी हाय-हाय की ड्यूटी ही देते रहेंगे, तो मोदी जी की जीत का जश्न कब मनाएंगे?

Advertisement

डैमोक्रेसी में जीत का जश्न अगर डैमोक्रेसी की मम्मी के राजा भी नहीं मनाएंगे, तो क्या उसकी नकल मारने वाले नकलची परदेशी मनाएंगे? अब वक्त आ गया है कि मोदी जी डैमोक्रेसी के विश्व गुरु वाला कटोरा दांव लगाएं और फुटकर वाला काम छोडक़र, थोक में विरोधियों को जेल में भिजवाएं! फिर देखते हैं, कौन हमारी एकदम ऑरीजिनल डैमोक्रेसी के जश्न में रंग में भंग डालता है; कौन डैमोक्रेसी में बुरा मानता है।

Advertisement

Related posts

अब से चीता ही बाघ कहलाएगा ! अब से जिसने चीते को चीता कहा, राजद्रोह में सीधे जेल जाएगा

Sayeed Pathan

आरबीआई आखिर क्यों बंद करने जा रहा है दो हजार रूपये के नोट: पढ़िए ये आलेख

Sayeed Pathan

स्वयं सुरक्षित रहें औरों को भी सुरक्षित रहने दें,इस समय लॉक डाउन का पालन ही मानवता और धर्म समझें-: वैभव चतुर्वेदी

Sayeed Pathan

एक टिप्पणी छोड़ दो

error: Content is protected !!