दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दशकों से जेल में बंद कैदियों की रिहाई के एक मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. मामले की सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि राज्य को अपना ‘घर’ दुरुस्त करना चाहिए. नहीं तो हम डीजीपी को तलब करेंगे. साथ ही पीठ ने कहा कि अब पानी सिर से ऊपर हो गया है.
ऐसा करना कहीं से भी उचित नहीं
पीठ ने अवमानना याचिका दायर होने पर ‘हरकत’ में आने के लिए यूपी सरकार के रवैए को लेकर भी नाराजगी जताई. सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि हमें यह देखने को मिल रहा है कि अवमानना याचिकाएं दायर करने के बाद सरकार हरकत में आती हैं. ये कहीं से भी उचित नहीं है.
यूपी सरकार ने रखा अपना पक्ष
CJI ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद से कहा कि हम नहीं चाहते कि अधिकारियों को अदालत में बुलाया जाए क्योंकि उनके पास और भी काम रहता है. यही वजह है कि हम अधिकारियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट देते रहते हैं. लेकिन अब बहुत हो गया, अब हम रियायत नहीं बरतेंगे. हमें अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पेश करने के लिए मजबूर न करें. आप ‘घर’ को दुरुस्त कीजिए, ऐसा नहीं होने पर हम महानिदेशक को तलब करेंगे.
सुनवाई के दौरान मौजूदा मामले के बारे में एएजी गरिमा प्रसाद ने पीठ को बताया कि उस आवेदन पर विचार कर लिया गया है.एमिकस क्यूरी ऋषि मल्होत्रा ने बताया कि अन्य अवमानना याचिकाओं की प्रतियां सरकार को दे दी गई है.हालंकि प्रसाद ने कहा कि उन्हें याचियाएं की प्राप्त नहीं हुई है. जिसपर पीठ ने याचिकाओं की प्रति सरकार को देने का निर्देश देते हुए सुनवाई अगले हफ्ते के लिए टाल दी.