संतकबीरनगर । ख़लीलाबाद नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी से परवेज अहमद को जब टिकट नहीं मिला तो कुछ दिन पहले उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया, और बसपा ने परवेज अहमद को अपना उम्मीदवार बनाया है। इससे नगर पालिका चुनाव में सपा, बसपा और भाजपा के बीच तीखी टक्कर देखने की संभावना है।
परवेज अहमद ने बताया कि 20 वर्षो से सपा का सिपाही रहा और पार्टी के लिए कड़ी मेहनत भी की लेकिन जिला कमेटी के मूल्यांकन में मुझे समाजवादी पार्टी से टिकट नहीं दिया गया, उन्होंने कहा कि वह नगर पालिका अध्यक्ष के पद के लिए समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार बनना चाहते थे। लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह बसपा से उम्मीदवार बन गए हैं।
इससे नगर पालिका परिषद ख़लीलाबाद के अध्यक्ष पद के चुनाव में परवेज अहमद द्वारा सपा को भारी टक्कर देने की संभावना है, वैसे श्री परवेज और भाजपा के बीच भी तीखी टक्कर देखने को मिलेगी । नगर पालिका चुनाव में बसपा को मजबूती मिल सकती है और यह उन्हें नगरीय सत्ता के करीब ले जाने में मदद मिल सकती है। साथ ही, सपा और भाजपा भी अपने उम्मीदवारों को मजबूत बनाने के लिए प्रयास करेंगे।
इससे पहले भी उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में सपा, बसपा और भाजपा के पंचायत चुनाव में भी सपा, बसपा और भाजपा के बीच तीखी टक्कर देखी गई थी। इस चुनाव में सपा और बसपा को बड़ी जीत मिली थी और इससे पहले वह नगर पालिका चुनाव में भी कुछ सीटें जीत चुकी है। साथ ही, समाजवादी पार्टी ने भी कुछ सीटों पर जीत हासिल की थी।
नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में बसपा को मजबूत होने की संभावना है, क्योंकि परवेज अहमद मुस्लिम वोटों के करीब बताए जा रहे हैं और इन्हें समर्थन मिल सकते हैं। इससे पहले नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव में सपा को भी मुस्लिम वोटों के सहयोग से अच्छी जीत हासिल हुई थी ।
यदि परवेज अहमद बसपा का दलित वोट और सपा का मुस्लिम वोट समर्थन मिलता है, तो उनकी जीत पक्की हो सकती है। यह चुनाव नगर पालिका अध्यक्ष के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा और दलित वोट और मुस्लिम वोट दोनों ही परवेज अहमद के लिए बहुत मायने रखते हैं।
आपको बता दें कि बसपा दलितों के लिए एक पारंपरिक दल है जो उनकी मुश्किलों को समझता है और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए लड़ता है। साथ ही, सपा मुस्लिम वोटों का भरोसेमंद पार्टी है जो उनके हितों के लिए लड़ती है। यदि परवेज अहमद को ये दोनों वोट मिलते हैं तो उन्हें चुनाव जीतने में मदद मिल सकती है।
हालांकि, इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि चुनाव जीतने के लिए सिर्फ दलित और मुस्लिम वोटों से काम नहीं चलेगा। उम्मीदवार को अन्य समूहों के वोटों को भी जीतने की कोशिश करनी होगी। अतः, परवेज अहमद को सभी समूहों का समर्थन हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए।