सन्त कबीर नगर,। सन्त कबीर एक निर्भीक,जुझारू पत्रकार थे, मगहर में उनका निर्वाण स्थान जिसकी पहचान दुनियां में है।
चिन्ता का विषय है कि पत्रकारिता पर कोई विचार गोष्ठी तक नही हुई। जबकि देश , बिदेश में प्रिन्ट मीडिया,इलेक्ट्रानिक मीडिया ने धूम मचा दिया है। पहले नरकट की कलम से हैंडबिल के आकार का अख़बार निकाला गया। कुछ रूप बदला तो बर्ष 1566 में हस्तलिखित ही राजपत्र नामक सामाजिक,राजनेतिक तथा सैन्य संघर्षों,पर आधारित बड़ा अखबार निकाला गया।
बर्ष 1440 में प्रिन्ट मीडिया ने जन्म लिया,पैठ बनाई यहीं से प्रगतिशील पत्रकारिता की धूम मचा बर्ष1609 में साप्ताहिक समाचार पत्र की शुरुआत हुई। बर्ष 1800 में राष्ट्रपति थामस जेफरसन ने अमेरिका में प्रेस पर लगी कई पाबंदियां हटाया। इसकाअसर दुनियां पर पड़ा। बर्ष 1846 में तार सेवा की शुरुआत हुई।
इसी बीच सनसनी खेज रिपोर्टिंग का प्रचलन शुरू हुआ। जिसमे अग्रदूत नामक समाचार पत्र ने खूब सुर्खियां बटोरी। 1922 में विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ जर्नलिज्म की क्लास कोलंबिया में खोली गई। बर्ष 1990 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता ,संचार विश्वविद्यालय भोपाल, मध्यप्रदेश में स्थापना हुई।पत्रकारिता के आयाम इतना विकसित किया की
इलेक्ट्रानिक मीडिया ने तहलका मचा दिया लेकिन प्रिन्ट मीडिया ने अपना स्थान बनाए रखा। सभी मीडिया कंप्यूटर पर आधारित हैं।
अब तो प्रेस की स्वतन्त्रता खतरे की दीवार में कैद हैं। क्योंकि शासक दल किसी न किसी बल का भय दिखाती रहती हैं।एक वक्त था कि हिंदुस्तान की राजनीति और मीडिया ने अफ्रीका
के नेल्सन मंडेला को राजनेता बना दिया।आज की राजनेतिक घटनाक्रम ऐसी हैं कि यदि कुछ चर्चा कर दिया जाय तो अकारण
जेल की रोटी तोड़नी पड़ेगी।यह एक उदाहरण हैं कि बर्ष1975 में लागू आपातकाल का जिसने विरोध किया था,उनका कोई पुरसाहाल नहीं है।
कबीर इण्डिया चैनल (सोशल मीडिया) संपादक शिवकुमार गुप्ता.९९३५४०५२५२