(आलेख- मोहम्मद सईद पठान)
संतकबीरनगर । आज के परिवेश में अपराध की घटना को अंजाम देने में युवा पीढ़ी की भूमिका बढ़ती नज़र आ रही है जो देश, प्रदेश, समाज और युवा पीढ़ी के भविष्य को अंधकार में ले जाने का काम कर रही है, आजकल की अपराधिक घटनाओं पर नजर डाली जाय तो भटकी हुई युवा पीढ़ी ज्यादा दिखाई दे रही है, जो पुलिस के लिए एक चुनौती से कम नहीं है, हम सब के लिए चिंता का बड़ा विषय है ।
ऐसे कम उम्र के लोगों द्वारा अपराध किये जा रहे हैं, जो इनके भविष्य के लिए ठीक नहीं है,हम सब को चाहिए कि ऐसे बच्चों को जागरूक किया जाय जिससे ये किसी छोटे बड़े अपराध को अंजाम देने के इरादे से दूर रहें,
अभी एक दिन पहले थाना धनघटा क्षेत्र में लूट की घटना घटी और पुलिस ने 24 घण्टे में घटना का खुलासा करते हुए चार नव युवको को गिरफ्तार किया,जिनमे चारो की उम्र लगभग 20 से 22 वर्ष बताई जा रही है ।
ऐसे में देखा जाय तो ऐसे अपराधिक गतिविधियों को नवयुवकों द्वारा किया जाना एक चिंताजनक मुद्दा है और यह समाज के लिए गंभीर समस्या है। इससे अन्य बच्चों के भविष्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और उनके उचित विकास को बाधित कर सकता है ।
संतकबीरनगर पुलिस महकमें ने भी इनके द्वारा अंजाम दिए गए घटनाओँ को चुनौती पूर्ण लिया है और अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा है कि आज हम सब को मिलकर इन नवजवान पीढ़ी को आपराधिक गतिविधियों के रास्ते पर जाने से रोकने के लिए आगे आने की जरूरत है, ऐसी स्थिति में, समाज को एकजुट होकर इस मुद्दे को लेकर संघर्ष करना चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित कुछ कदम उठाने के साथ ऐसे कार्य किये जा सकते हैं:जिससे आज के बच्चे अपराध करने से दूर रहें ।
1-शिक्षा: बच्चों को शिक्षा और ज्ञान के महत्व की जागरूकता देना बहुत महत्वपूर्ण है। सक्षम और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को सहयोग करना चाहिए।
2-सामाजिक प्रभाव: सामाजिक संगठन, नागरिक समूह और परिवारों को ऐसे नवयुवकों के लिए योग्यता विकास कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए। इन कार्यक्रमों में मानसिक स्वास्थ्य, नैतिकता, और सामाजिक कौशल के विकास के लिए प्रशिक्षण शामिल होना चाहिए।
3-संगठित विकास कार्यक्रम: खेल, कला, साहित्य, सांस्कृतिक गतिविधियों और साझा समुदायिक कार्यों के माध्यम से नवयुवकों को सकारात्मक और सतर्क रहने के लिए संगठित कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।
4-आदर्शों का साझा करना: सभी समुदायों को नवयुवकों को सही और उचित मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए आदर्शों को साझा करना चाहिए। स्थानीय लीडर्स, महिला संगठन और प्रमुख अदालती न्यायालय की ओर से नेतृत्व करने की आवश्यकता होती है।
ये कदम सिर्फ एक आरंभिक हैं और लंबी अवधि तक नवयुवकों को जागरूक, सकारात्मक और सामरिक बनाने के लिए एक संगठित मानव समुदाय की आवश्यकता है। यह मानव संसाधन का महत्वपूर्ण कार्य है जो सामाजिक परिवर्तन की दिशा में मदद कर सकता है और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने में मदद कर सकता है।