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प्रधानमंत्री ने क्षेत्र और जाति के आदि के आधार पर, विभाजन करने वाली बातें फैलाने पर जताई पीड़ा

नयी दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष के कुछ लोगों की ओर से देश में क्षेत्र और जाति के आदि के आधार पर विभाजन पैदा करने वाली बातें फैलाए जाने के प्रयासों पर बुधवार को ‘पीड़ा’ जताते हुये कहा कि देश की विकास के लिये इस तरह की बातें बंद हों और सब मिलकर काम करें।

प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर लंबी चर्चा का जबाव देते हुये कहा, “कुछ लोग राजनैतिक स्वार्थ के लिये देश को तोड़ने का बात (नैरेटिव) गढ़ते हैं। इससे पीड़ा होती है। यह राष्ट्र हमारे लिये जमीन का टुकड़ा नहीं, प्रेरणा देने वाली इकाई, शरीर है। जैसे शरीर के एक अंग में कांटा चुभ जाए तो आंसू आंख में आता है और कांटा निकालने के लिये हाथ वहां पहुंच जाता है।”

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प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को एकांगी भाव से देखने की आवश्यकता पर बल देते हुये कहा कि जिस तरह शरीर का एक अंग काम करना बंद कर दे तो पूरा शरीर अपंग हो जाता है उसी तरह देश का एक कोना काम नहीं करता है तो पूरा देश प्रभावित होता है। उन्होंने कहा, “क्या हिमालय यह कहना शुरू कर दे कि नदियां केवल मेरी हैं, क्या एक राज्य यह कह सकता है कि कोयला मेरा है बाकी क्षेत्र अंधेरे में रहें।”

उन्होंने देश के विकास के लिये राज्यों के विकास को जरूरी बताते हुये कहा कि उनकी सरकार के ‘कार्यक्रमों की रचना’ सबको साथ लेकर चलने की है हम राज्य को उसका हक देना चाहते हैं। उन्होंने कोविड महामारी का मुकाबला करने, जी-20 सम्मेलन और पिछड़े जिलों के विकास के कार्यक्रमों की उल्लेखनीय सफलता करते हुये कहा कि यह सब राज्यों की भागीदारी के बिना संभव नहीं था।

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श्री मोदी ने कहा कि जी-20 की एक बैठक दिल्ली में हुयी जबकि दो सौ बैठकें विभिन्न राज्यों में हुईं, यह पूरी योजना के साथ राज्यों के सहयोग से हुआ। उन्होंने कहा कि वह हर विदेशी मेहमान से कहते हैं कि आप दिल्ली के अलावा, हमारे किसी राज्य में जरूर चलें! उन्होंने हाल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भारत यात्रा का जिक्र करते हुये कहा कि गणतंत्र दिवस की व्यवस्तताओं के बावजूद वह उन्हें लेकर जयपुर की गलियों में घूमे।

प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछड़ा जिला कार्यक्रम की सफलता की दुनिया में चर्चा हो रही है। इसमें 80 प्रतिशत भूमिका राज्यों की है और इसमें जिलाधिकारियों का रोल महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के समय हमने टीम के रूप में काम किया मुख्यमंत्रियों के साथ मैंने 20 बैठकें कीं। हम सबने मिलकर देश को बचाया। इसका श्रेय सबको जाता है।”

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उन्होंने कहा कि कोविड के समय पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में तैयार मेडिकल ऑक्सीजन दूसरे राज्यों के लोगों के जान बचाने के लिये ले जायी गयी, उस समय पूर्वी राज्य ये तो नहीं कह सकते थे कि यह ऑक्सीजन केवल उनके लिये है। उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड का कोई युवा देश के लिये विदेश से खेल कर मेडल लाता है तो वह केवल झारखंड की सफलता नहीं होती है। हम झारखंड को किसी बच्चे को खेल के प्रशिक्षण के लिये विदेश भेजते हैं तो वह भारत का बच्चा होता है।

प्रधानमंत्री ने विपक्ष की तीखी आलोचना करते हुये कहा कि इसके बावजूद देश में कुछ लोग तोड़ने का भाव पैदा करने के प्रयास में लगे रहते हैं। उन्होंने कहा, “देश को तोड़ने के लिये नये-नये नैरेटिव खोजना बंद कर दीजिए।”

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प्रधानमंत्री ने कहा, “राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में भारत के कोटि-कोटि जनों के सामर्थ्य को बहुत ही शानदार तरीके से प्रस्तुत किया है।” श्री मोदी ने इसके लिये राष्ट्रपति का अभिनंदन किया और उनके प्रति आभार व्यक्त किया। चर्चा पर प्रधानमंत्री के जबाव के बाद सदन ने सरकार द्वारा अभिभाषण पर धन्यवाद के लिये रखे गये प्रस्ताव को ध्वनिमति से पारित कर दिया।

नयी दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष के कुछ लोगों की ओर से देश में क्षेत्र और जाति के आदि के आधार पर विभाजन पैदा करने वाली बातें फैलाए जाने के प्रयासों पर बुधवार को ‘पीड़ा’ जताते हुये कहा कि देश की विकास के लिये इस तरह की बातें बंद हों और सब मिलकर काम करें।

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