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उतर प्रदेशधर्म/आस्था

श्रावण माह: आस्था, भक्ति और धार्मिकता का पर्व, और प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक रूप में इसका महत्व

लेखक- सईद पठान ::

श्रावण माह, जिसे सावन के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार सबसे पवित्र महीनों में से एक है। यह माह भगवान शिव की आराधना का विशेष समय माना जाता है और इसे भक्ति, तपस्या, और आस्था का प्रतीक माना जाता है। श्रावण माह का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि यह माह प्राकृतिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।

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धार्मिक महत्व

श्रावण माह की धार्मिकता का आधार भगवान शिव और देवी पार्वती की कथाओं से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस माह में भगवान शिव पृथ्वी पर अधिक सक्रिय रहते हैं और उनकी आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस माह में विशेष रूप से सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा का महत्व है, जिसे ‘श्रावण सोमवार’ कहा जाता है।

श्रावण सोमवार

श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार को शिवभक्त उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, और बेलपत्र अर्पित करते हैं। इस दिन का महत्व भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और सभी दुखों से मुक्ति पाने के लिए होता है। श्रद्धालु “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हैं और शिव चालीसा का पाठ करते हैं।

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श्रावण माह का पहला मंगलवार और महत्व

श्रावण माह का पहला मंगलवार भी विशेष महत्व रखता है, खासकर देवी पार्वती और भगवान गणेश की पूजा के लिए। इस दिन को ‘मंगलागौरी व्रत’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। देवी पार्वती की पूजा करते समय उन्हें सुहाग की वस्तुएं अर्पित की जाती हैं, जैसे कि लाल चूड़ियाँ, सिंदूर, और वस्त्र।

कांवड़ यात्रा

श्रावण माह में कांवड़ यात्रा का भी विशेष महत्व है। शिवभक्त गंगाजल लेकर पैदल चलते हुए भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में जाकर जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा श्रद्धा, तपस्या, और समर्पण का प्रतीक है और इसे पूरा करने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व

श्रावण माह का समय मानसून का होता है, जब प्रकृति अपने पूरे यौवन पर होती है। चारों ओर हरियाली, नदियों का कलकल बहता जल, और ठंडी हवाएं माहौल को पवित्र और शांतिपूर्ण बना देती हैं। इस माह में हरियाली तीज, नाग पंचमी, और रक्षा बंधन जैसे महत्वपूर्ण त्योहार भी मनाए जाते हैं, जो सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।

आध्यात्मिक और सामाजिक पहलू

श्रावण माह आत्मशुद्धि, तपस्या, और साधना का समय होता है। इस दौरान भक्त अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करते हैं। समाज में एकता और भाईचारे की भावना भी बढ़ती है, क्योंकि लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर पूजा और त्योहार मनाते हैं।

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इस प्रकार

श्रावण माह भगवान शिव की भक्ति, आस्था, और धार्मिकता का प्रतीक है। यह माह हमें आत्मशुद्धि, तपस्या, और समर्पण के महत्व को समझने का अवसर प्रदान करता है। इस पवित्र माह में भगवान शिव की आराधना करने से न केवल हमारे जीवन में शांति और समृद्धि आती है, बल्कि हमें आध्यात्मिक शक्ति और आत्मिक शुद्धि का अनुभव भी होता है। श्रद्धा और आस्था के इस पर्व पर हमें भगवान शिव के आशीर्वाद से अपने जीवन को धन्य बनाने का प्रयास करना चाहिए।

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