संतकबीरनगर: जिले के ग्राम पंचायत फरेंदिया में शनिवार को पंचायत भवन पर सोशल ऑडिट की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक का उद्देश्य ग्राम पंचायत में चल रही विभिन्न योजनाओं में पारदर्शिता, सहभागिता, और जवाबदेही सुनिश्चित करना था। सोशल ऑडिट के इस सत्र में पंचायत के सदस्यों, ग्रामवासियों और स्थानीय अधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक के दौरान पंचायत में चल रहे विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं की समीक्षा की गई। स्थानीय लोगों को अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत करने का अवसर भी दिया गया, जिससे योजना क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं और उनकी गुणवत्ता की वास्तविक स्थिति का पता चल सका।
सोशल ऑडिट का मुख्य फोकस यह था कि ग्रामीण विकास की योजनाओं का लाभ हर ज़रूरतमंद तक पहुंचे और कोई भी अनियमितता या गड़बड़ी सामने न आए। बैठक में उपस्थित अधिकारियों ने सभी शिकायतों और सुझावों को गंभीरता से सुना और उन्हें जल्द ही समाधान का आश्वासन दिया।
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि राघवेंद्र मिश्र ने कहा कि सोशल ऑडिट का यह प्रयास ग्राम पंचायत में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने सभी ग्रामवासियों से योजनाओं के क्रियान्वयन में सक्रिय सहभागिता की अपील की ताकि पंचायत का विकास सही दिशा में हो सके।
सोशल ऑडिट बैठक में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत कराए गए कार्यों की समीक्षा एक महत्वपूर्ण पहल है। इस समीक्षा के दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि मनरेगा के तहत किए गए कार्यों में पारदर्शिता, गुणवत्ता, और समय पर क्रियान्वयन हो। सोशल ऑडिट के माध्यम से ग्रामीणों और अन्य संबंधित पक्षों को इस बात का अवसर मिलता है कि वे योजनाओं के सही और निष्पक्ष कार्यान्वयन का मूल्यांकन कर सकें। आइए समझते हैं कि सोशल ऑडिट बैठक में मनरेगा कार्यों की समीक्षा कैसे की जाती है और इसका क्या महत्व है।
सोशल ऑडिट में मनरेगा कार्यों की समीक्षा का महत्व:
- पारदर्शिता: मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सोशल ऑडिट किया जाता है। इस प्रक्रिया में सभी परियोजनाओं, खर्च और रोजगार की जानकारी को सार्वजनिक किया जाता है। यह देखा जाता है कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार या धन का दुरुपयोग न हो।
- काम की गुणवत्ता: सोशल ऑडिट के दौरान मनरेगा के तहत किए गए कार्यों की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाता है। यदि काम में कोई कमी या गड़बड़ी पाई जाती है, तो उसे उजागर किया जाता है और सुधार के लिए सिफारिशें की जाती हैं।
- मजदूरी भुगतान: मनरेगा के तहत मजदूरों को समय पर और उचित मजदूरी मिलनी चाहिए। सोशल ऑडिट में यह देखा जाता है कि मजदूरी का भुगतान सही समय पर हुआ या नहीं और अगर कोई देरी हुई है तो उसके कारण क्या हैं। इसके अलावा, यह सुनिश्चित किया जाता है कि मजदूरों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो।
- सामाजिक न्याय: मनरेगा का उद्देश्य ग्रामीण गरीबों को रोजगार प्रदान करना है। सोशल ऑडिट के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि कमजोर और वंचित वर्गों को सही ढंग से रोजगार मिला है या नहीं। इससे सामाजिक न्याय और समावेशिता को बढ़ावा मिलता है।
- सहभागिता: सोशल ऑडिट के दौरान ग्रामीणों को सक्रिय रूप से शामिल किया जाता है। वे अपने अनुभव और समस्याओं को साझा करते हैं, जिससे योजनाओं में सुधार किया जा सके। ग्रामीणों की सहभागिता से स्थानीय समस्याओं को सीधे संबोधित किया जा सकता है।
सोशल ऑडिट बैठक में मनरेगा कार्यों की समीक्षा की प्रक्रिया:
- दस्तावेज़ों की जांच: सोशल ऑडिट बैठक से पहले मनरेगा से संबंधित सभी दस्तावेजों, जैसे काम के आदेश, भुगतान रजिस्टर, और अन्य सरकारी रिकॉर्ड, की जांच की जाती है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी जानकारी सही और पूर्ण हो।
- जमीनी सत्यापन: इसके बाद सोशल ऑडिट टीम द्वारा कार्यस्थल का दौरा किया जाता है और यह देखा जाता है कि काम वास्तव में हुआ है या नहीं। काम की गुणवत्ता और परियोजनाओं की प्रगति का आकलन भी किया जाता है।
- साक्षात्कार: मजदूरों और स्थानीय निवासियों से बातचीत की जाती है, जिससे यह पता चलता है कि उन्हें समय पर मजदूरी मिली है या नहीं, और काम के दौरान उन्हें किन समस्याओं का सामना करना पड़ा। उनके अनुभव से कार्य की स्थिति का पता चलता है
- सार्वजनिक बैठक: सोशल ऑडिट के निष्कर्षों को ग्राम सभा के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। यहां सभी ग्रामीणों के सामने योजनाओं की प्रगति और समस्याओं पर चर्चा की जाती है। यह एक पारदर्शी प्रक्रिया होती है, जिसमें ग्रामीणों की राय और सुझाव भी लिए जाते हैं।
- रिपोर्ट तैयार करना: अंत में, सोशल ऑडिट की एक रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसमें सभी निष्कर्ष, समस्याएं, और सुधार के लिए सिफारिशें शामिल होती हैं। यह रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाती है ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।
इस प्रकार देखा जाय तो सोशल ऑडिट बैठक में मनरेगा कार्यों की समीक्षा न केवल योजना की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करती है, बल्कि इससे ग्रामीण समुदाय को भी योजनाओं के क्रियान्वयन में सीधा भागीदार बनने का अवसर मिलता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचे और ग्रामीण विकास सही दिशा में हो।
बैठक में भाग लेने वाले ग्रामीणों ने इसे एक सकारात्मक पहल बताया और विश्वास जताया कि इससे योजनाओं में सुधार होगा और भविष्य में विकास कार्यों की गति बढ़ेगी।