संतकबीरनगर में गुरुवार को मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक में पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण, अपशिष्ट प्रबंधन और गंगा संरक्षण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई थी, बैठक से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को लेकर गंभीर प्रयास कर रहा है। बैठक में जिन बिंदुओं पर चर्चा की गई, वे न केवल स्थानीय पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में सहायक होंगे, बल्कि “स्वच्छ भारत मिशन”, “नमामि गंगे योजना” और “ग्रीन यूपी, क्लीन यूपी अभियान” जैसे राष्ट्रीय अभियानों को भी मजबूती प्रदान करेंगे।
वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण:
वृक्षारोपण कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जियो टैगिंग और स्थलीय सत्यापन जैसे कदम उठाए गए हैं, जो प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। अंतरविभागीय समन्वय द्वारा वृक्षारोपण स्थलों की निगरानी और रिपोर्टिंग की योजना से स्पष्ट होता है कि इस पहल को केवल कागजी कार्यवाही तक सीमित नहीं रखा जा रहा है, बल्कि जमीनी स्तर पर इसके प्रभावी क्रियान्वयन को प्राथमिकता दी जा रही है।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन:
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर उठाए जा रहे कदम, जैसे एमआरएफ सेंटर की स्थापना और सेकेंडरी स्टोरेज फैसिलिटीज की योजना, स्वच्छता और कचरा प्रबंधन को एक व्यवस्थित रूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्लास्टिक और जैव चिकित्सा अपशिष्ट के प्रभावी निस्तारण की चर्चा इस बात का प्रमाण है कि प्रशासन पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के लिए आधुनिक प्रबंधन रणनीतियों को अपनाने के प्रति प्रतिबद्ध है।
गंगा संरक्षण प्रयास:
गंगा नदी के संरक्षण के लिए शहरी क्षेत्रों से निकलने वाले नालों के चिन्हीकरण और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना की समीक्षा, जल प्रदूषण की रोकथाम में प्रशासन की सक्रियता को दर्शाती है। ग्राम आर्द्रभूमि समिति के गठन का निर्देश जल संरक्षण और स्थानीय जल स्रोतों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा सकती है। साथ ही, GDPMS पोर्टल पर अद्यतन जानकारी अपलोड करने की अनिवार्यता, जवाबदेही और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
चुनौतियां और समाधान:
यद्यपि प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम सराहनीय हैं, लेकिन उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए निम्नलिखित चुनौतियां बनी हुई हैं:
- जागरूकता की कमी: वृक्षारोपण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में आम जनता की भागीदारी अभी भी सीमित है। इसके लिए स्थानीय जागरूकता अभियानों की आवश्यकता होगी।
- वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता: परियोजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन हेतु निधियों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।
- प्रभावी निगरानी: वृक्षारोपण और कचरा प्रबंधन की योजनाओं की प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए एक सशक्त निगरानी तंत्र विकसित करना आवश्यक होगा।
बैठक में लिए गए निर्णयों का प्रभावी क्रियान्वयन संतकबीरनगर के पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। वृक्षारोपण, कचरा प्रबंधन और जल संरक्षण से संबंधित योजनाओं में जनसहभागिता सुनिश्चित करना, प्रशासन और स्थानीय नागरिकों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती होगी। यदि इन योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो संतकबीरनगर एक स्वच्छ, हरा-भरा और पर्यावरण के प्रति जागरूक जनपद के रूप में उभर सकता है।