(रिपोर्ट- सईद पठान चीफ एडिटर)
गोंडा। जनपद के गौराचौकी बाजार में भैरहवा नेत्रालय नामक एक फर्जी और अपंजीकृत अस्पताल के संचालन का मामला सामने आया है। इसे लेकर क्षेत्र के निवासी मेंराज पुत्र अब्दुल खालिक ने मुख्यमंत्री पोर्टल और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) गोंडा को प्रार्थना पत्र देकर जांच और उचित कार्रवाई की मांग की है।
शिकायत में गंभीर आरोप
शिकायतकर्ता मेराज ने आरोप लगाया है कि यह अस्पताल बिना किसी पंजीकृत डॉक्टर या विशेषज्ञ चिकित्सक के संचालित हो रहा है। अस्पताल में केवल छोटे-मोटे कर्मचारी जो किसी अस्पताल में एक दो महीने रहकर आए बताए जा रहे हैं, जो बिना उचित योग्यता के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। यहां आंखों की सर्जरी जैसी जटिल प्रक्रियाएं भी की जाती हैं, जिससे मरीजों की आंखे जाने का खतरा हो सकता है।
स्वास्थ्य विभाग से कार्रवाई की मांग
मेंराज ने अपने प्रार्थना पत्र में कहा कि यह फर्जी अस्पताल आंखों के मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहा है और किसी भी समय कोई अप्रिय घटना घट सकती है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए और किसी सक्षम टीम से अस्पताल की जांच करानी चाहिए।
अधिकारियों का बयान
इस बारे में फोन के द्वारा जब स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर तरुण के मोबाइल नंबर 7007248712 पर संपर्क किया, तो उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता मेराज ने मुख्यमंत्री पोर्टल और मुख्य चिकित्सा अधिकारी गोंडा को लिखित रूप से शिकायत की है, शिकायत पत्र के आधार पर सोमवार को उक्त आंख अस्पताल की जांच की गई, जहां एक कर्मचारी मिला और संचालक सहित तमाम कर्मचारी अस्पताल छोड़कर भाग गए थे, संचालक को कारण बताओ नोटिस जारी की गई है, तीन दिनों के अंदर अगर वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र उपलब्ध नही कराता है, तो उसके खिलाफ विधिक कार्यवाही की जाएगी, और यदि अस्पताल अनियमितताओं का दोषी पाया जाता है, तो उसे बंद करने समेत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल
इस घटना ने क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और निगरानी प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर बिना पंजीकरण और अयोग्य डॉक्टरों के कोई आंख अस्पताल संचालित हो रहा है, तो यह न केवल मरीजों की आंखों को हमेशा के लिए बरबाद सकता है, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में अवैध गतिविधियों को भी बढ़ावा दे सकता है।
अब देखना यह होगा कि स्वास्थ्य विभाग की जांच में यह अस्पताल फर्जी है या सही, ये जांच के बाद ही पता चल पाएगा, इस मामले में कितनी तेजी से कार्रवाई करता है और क्या फर्जी पाए जाने पर संचालकों पर कोई कार्यवाही होती है या नहीं , यह भविष्य ही बताएगा।