ब्यूरो रिपोर्ट
कुशीनगर, हाटा। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में हाटा नगरपालिका क्षेत्र की 25 साल पुरानी मदनी मस्जिद को अवैध निर्माण करार देते हुए प्रशासन ने 54 दिनों की लंबी जांच और कानूनी प्रक्रिया के बाद ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई को भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच अंजाम दिया गया, जिससे क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है।
कैसे शुरू हुआ मामला?
प्रशासन ने मस्जिद कमेटी को तीन बार नोटिस जारी कर दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। लेकिन तय समय सीमा के भीतर वैध नक्शा और अन्य आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत न किए जाने के कारण इसे अवैध घोषित कर दिया गया। हालांकि, पूर्व उपजिलाधिकारी हाटा द्वारा की गई पैमाइश में अवैध निर्माण की पुष्टि नहीं हुई थी, जिससे प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
कानूनी प्रक्रिया और सुप्रीम कोर्ट का संज्ञान
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अब्दुल कादिर अब्बासी ने गंभीर आपत्ति जताई है। उन्होंने संलग्न लीगल नोटिस जारी कर 09 फरवरी 2025 को सुबह 11 बजे कुशीनगर के जिलाधिकारी को अवगत कराया कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन और न्यायिक अवमानना है। उन्होंने मस्जिद को नुकसान न पहुंचाने और ध्वस्तीकरण तत्काल रोकने की मांग की।
बुलडोजर कार्रवाई के दौरान भारी सुरक्षा तैनात
09 फरवरी को, प्रशासन ने पांच बुलडोजरों की मदद से मदनी मस्जिद को गिराने की प्रक्रिया शुरू की। यह कार्रवाई भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच की गई, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।
वकीलों और स्थानीय लोगों का विरोध
एडवोकेट खान शफीउल्लाह ने प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि मस्जिद निर्माण से जुड़े दस्तावेजों पर पहले विचार किया जाना चाहिए था। उन्होंने प्रशासन की जल्दबाजी पर सवाल उठाया और कहा कि रविवार को कार्रवाई किए जाने का क्या औचित्य था? इस मामले से जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्यों को उन्होंने एक वीडियो के माध्यम से प्रस्तुत किया है।
तनावपूर्ण माहौल, प्रशासन की अपील
मस्जिद पर हुई इस कार्रवाई के बाद क्षेत्र में तनाव बना हुआ है। प्रशासन ने जनता से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है और स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है।
क्या होगा आगे?
इस घटना के बाद कानूनी लड़ाई तेज हो सकती है। मस्जिद कमेटी और वकीलों की ओर से अदालत में अपील करने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, प्रशासन का कहना है कि यह पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया के तहत किया गया ध्वस्तीकरण है।
अब देखना होगा कि इस मामले में अदालत का अगला कदम क्या होगा और क्या यह मामला उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचता है?