विद्यार्थियों का शोषण करने वाले कोचिंग सेंटरों पर लगे लगाम:-
शिक्षा का व्यवसायीकरण करने में मददगार साबित हो रहे हैं कुछ कोचिंग सेंटर संचालक,
धनघटा संतकबीरनगर ।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली में जहां एक ओर अनेकों सुधार हुए हैं।
नये-नये पाठ्यक्रम के आधार पर पठन-पाठन व्यवस्था लागू कर छात्र हित में उनके भविष्य के उज्जवल उत्थान में सार्थक सिद्ध हो रहे हैं। विद्यार्थियों की दक्षता शक्ति और प्रतिभावान बनाने में मददगार साबित हो रहे हैं,।
तो वहीं दूसरी ओर कुछ अध्यापक कोचिंग को अपना पेशा मानते हुए विद्यार्थियों को अपने कोचिंग सेंटरों पर पंजीकरण कराने के लिए बाध्य करते हैं।
वही अध्यापक जो कोचिंग सेंटरों पर अपनी कड़ी मेहनत से हर सम्भव विद्यार्थियों को निखारने की कोशिश करता है।
विद्यालय में अपने विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा आखिर क्यों नहीं देने में रूचि लेता है। शायद कि उसकी मन्शा इसके विपरीत होती है। कोचिंग सेंटर संचालकों की मनमानी के चलते अभिभावक और छात्र दोनों पर पड़ती है मार।
खबरों के मुताबिक धनघटा तहसील क्षेत्र के धनघटा,पौली, नाथनगर, महुली कस्बा में कई ऐसे प्राईवेट विद्यालय हैं ।
जिनके कुछ शिक्षकगण अपने विद्यार्थियों को अपनी ही कोचिंग सेंटरों पर कोचिंग करने के लिए बाध्य करते हैं।
किसी दूसरे विद्यालय के अध्यापकों से ट्यूशन न करने की सख्त मनाही दिए होते हैं।
विचारणीय प्रश्न यह है कि उक्त स्थानों पर संचालित होने वाले कितने कोचिंग सेंटरों को जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से कोचिंग संचालन प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है। या फिर विभाग ऐसा आदेश नहीं जारी करता है। विद्यार्थियों से शुल्क वसूली के विभागीय क्या आदेश दिए गए हैं,स्पष्ट होना चाहिए।
विभाग इन कोचिंग सेंटरों की निगरानी क्यो नहीं करता है।
या फिर मनमानी ढंग से शिक्षकों को कोचिंग सेंटर पर शुल्क वसूली की है आजादी।
हालांकि विभागीय अधिकारियों को कोचिंग सेंटरों का दौरा कर उन अध्यापकों की विद्यालयी शिक्षण व्यवस्था की भी निगरानी करना बेहद जरूरी है।
जो कोचिंग सेंटरों का संचालन करते हैं।
ताकि अभिभावकों के जेब पर पड़ने वाले इस बोझ को किसी हद तक कम किया जा सके।