यसवंत यादव की रिपोर्ट
संतकबीरनगर ।
कहते हैं कि किसी पिता के लिए जवान बेटे के शव को कंधा देना उसके जीवन का सबसे बड़ा दुर्भाग्य होता है लेकिन 10 साल का मासूम अपने पिता की उंगली पकड़ जब शिक्षा के मंदिर मे पहुंचने की आस लगाये बैठा हो तो वह एक बेटे और पिता दोनो के लिए ऐतिहासिक पल होगा। इसी क्षण पिता की उँगली पकड़े एक मासूम बेटे के पिता को यदि चन्द दरिन्दे अपनी हैवानियत के आखिरी पड़ाव पर पहुंच कर गोली मार कर हत्या कर दें तो उस मासूम बेटे के नन्हें दिल पर क्या असर हुआ होगा यह वास्तव मे अकल्पनीय होगा।
संतकबीरनगर जिला मुख्यालय स्थित नेदुला बाईपास पर सोमवार की सुबह चहल-पहल के दौरान एक ऐसे पिता को दरिन्दों ने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया जब उसका मासूम बेटा अपने पिता की उँगली को अपने नन्हे हाथों से पकड़ कर मां सरस्वती के आंचल मे पहुंचने की उम्मीद मे खड़ा हो। पिता के रक्त रंजित शव को देख मासूम सोनू की रूहें भी कांप उठीं, वह बेहोशी के झोंके मे पहुंच चुका था। शासन प्रशासन कानून के दायरे मे रह कर उन आताताईयों को जो भी सजा दे वह इस नन्हे मासूम के लिए कम होगा । भविष्य के उस काल्पनिक पल को यदि महसूस किया जा सके तो यह मासूम अपने जवानी के दहलीज मे यदि बागी बन जाय तो इसे प्रतिक्रिया कहना स्वाभाविक होगा। ऐसे मे आम जनमानस आज शासन और प्रशासन से ऐसी कड़ी कार्रवाई की उम्मीद लगाये बैठा है कि कानून की संगीन धाराओं के नेपथ्य मे आरोपियों को कुछ यूं जकड़ दे जिससे एक नन्हा मासूम कानून का पुजारी बन सके ।