अन्यराष्ट्रीय

पिता से वसीयत में मिली संपत्ति पर अगली पीढ़ी नही जता सकती हक़-: सुप्रीम कोर्ट

गुजरात के संपत्ति विवाद में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

नई दिल्ली .संपत्ति विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। काेर्ट ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी कमाई से अर्जित संपत्ति अपनी संतान को वसीयत के जरिए देता है, तो यह संपत्ति अगली पीढ़ी के लिए पैतृक नहीं कहलाएगी। पिता यह संपत्ति संतान या जिसे चाहे उसे दे सकता है।

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने गुजरात के गोविंदभाई छोटाभाई पटेल बनाम पटेल रमनभाई माथुरभाई के मामले में यह फैसला दिया। यह इस मायने से महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब तक न्याियक दृष्टातांें के िहसाब से यह स्थापित था िक दादा से पिता के पास आई संपत्ति अगली पीढ़ी के िलए पैतृक ही रहती थी।

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि हमारे सामने इस मामले को लेकर सबसे अहम सवाल यह था कि वारिस के तौर पर अपने पिता से मिली संपत्ति क्या छोटाभाई की पैतृक संपत्ति थी या उनकी खुद की कमाई संपत्ति? उन्होंने इसका जवाब 1953 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीएन अरुणाचल मुदलियार बनाम सीए मुरूगनाथ मामले में दिए गए फैसले से पाया। मिताक्षरा उत्तराधिकार कानून के अनुसार ऐसी संपत्ति बेटे की पैतृक संपत्ति नहीं बल्कि खुद कमाई मानी जाएगी।पिता ने सालों से साथ रहने वाले को संपत्ति गिफ्ट की थी

Advertisement

गुजरात के पाडरा क्षेत्र में आशाभाई पटेल ने खुद की कमाई संपत्ति वसीयत के जरिये बेटे छोटाभाई पटेल को 1952 में दी थी। छोटाभाई के बेटे गोविंदभाई व अन्य अमेरिका में रह रहे थे। छोटाभाई की पत्नी का देहांत 1997 में हुआ। इसके बाद उन्होंने 15 नवंबर 1997 को वर्षाें से अपने साथ रह रहे पटेल रमनभाई माथुरभाई काे गिफ्ट डीड के रूप में अपनी प्राॅपर्टी दे दी। 6 दिसंबर 2001 को छोटाभाई का भी निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनके बेटे गोविंदभाई व अन्य ने गिफ्ट डीड को फर्जी बताते हुए निचली कोर्ट में केस दायर किया।

उन्होंने कहा कि पैतृक संपत्ति किसी को दान या उपहार में देने का उनके पिता छोटाभाई को काेई अधिकार नहीं था। उन्होंने ऐसा करने से पूर्व पैतृक संपत्ति के वारिसों की सहमति नहीं ली। निचली कोर्ट ने इस संपत्ति को पैतृक बताकर गोविंदभाई के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि छोटाभाई को संपत्ति उपहार में देने का अधिकार नहीं था। मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने 9 अक्टूबर 2017 को उक्त संपत्ति को पैतृक मानने से इनकार करते हुए निचली कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया। इसके बाद मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

Advertisement

साभार दैनिक भाष्कर

Advertisement

इस पोस्ट से अगर किसी को कोई आपत्ति हो तो कृपया 24 घंटे के अंदर Email-missionsandesh.skn@gmail.com पर अपनी आपत्ति दर्ज कराएं जिससे खबर/पोस्ट/कंटेंट को हटाया या सुधार किया जा सके, इसके बाद संपादक/रिपोर्टर की कोई जिम्मेदारी नहीं होग

Related posts

महबूबा बोलीं- गांधी का भारत गोडसे के भारत में बदल रहा है, पहले भारत-पाकिस्तान के लोग एक दूसरे के लिए खुश होते थे

Sayeed Pathan

जानिए राहुल गांधी को सज़ा सुनाने से पहले, अदालत ने राहुल से क्या पूछा

Sayeed Pathan

ओमिक्रॉन कितना खतरनाक: जानिए नए वैरिएंट पर दुनियां भर के 8 एक्सपर्ट की राय; वैक्सीन लगवा चुके लोगों के संक्रमित होने की कितनी है संभावना?

Sayeed Pathan
error: Content is protected !!