रामलला हम आयेंगे मंदिर वहीं बनायेंगे, इस नारे की गूंज पिछली सदी के लगभग आखरी दशक में देशवासियों को सुनाई दी थी! चूकि हिंदू समाज की आस्था का केन्द्र श्री राम जन्मभूमि से संबंधित नारा था तो कहा जा सकता है कि पूरे हिंदुस्तान के सिर पर पलक झपकते ही सवार हो गया था! वो दौर कांग्रेस और कांग्रेस से स्तिफा देकर जनमोर्चा का गठन करने वाले तात्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह का था जिसमें बामपंथी भी सिर चढ़कर बोल रहे थे! मगर इन सबसे दूर भारतीय जनता पार्टी लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में विश्व हिंदू परिषद के माध्यम से देश के बहुसंख्यक हिंदूओं में भगवान राम की भक्ति का चिराग जला चुकी थी! जिसका नतीजा यह हुआ कि सन् 84 में कांग्रेस की दबंग प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिर्फ दो अंक पर सिमटी भाजपा सन् 1989 के आम चुनाव में कई पायदान ऊपर चढ़ते हुये 1989 में 89 सीटों पर अपना परचम लहराकर देश की राजनीति के केन्द्र में आ चुकी थी! तब से 2014 और 2019 तक के आम चुनाव में पूर्ण बहुमत में आने तक उसके चुनाव घोषणा पत्र में राम जन्मभूमि का मुद्दा बना ही रहा! इस बीच विरोधी दलों ने भी लंबे समय से भाजपा को घेरा और तंज कसे तो इस नारे की पृष्ठभूमि पर ही कसे! विरोधी दलों ने भाजपा पर हमला करते हुये कई मर्तबा इस नारे को हथियार बनाते हुये तंज कसे कि “रामलला हम आयेंगे मंदिर वहीं बनायेंगे मगर तारीख नहीं बतायेंगे! भाजपा विरोधों दलों के तंज और हमलों को एक तरफ करते हुये आगे बढ़ती रही और देश की एक नम्बर राजनीतिक दल बन गई, यह सही है कि वो राम मंदिर निर्माण की तारीख नहीं बता पाई मगर विश्व हिंदू परिषद के माध्यम से अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए लगभग 30 वर्षों से पत्थरों को तराशने के काम लगी रही!
मगर अब जब सुप्रीम कोर्ट ने 491 साल से बिवादित राम मंदिर निर्माण पर अपना फैसला दे दिया है तो यह तय है कि कोर्ट के आदेशानुसार केन्द्र सरकार तीन महिनों में ट्रस्ट गठित कर श्री राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण का काम शुरु कर देगी! निश्चित ही अपने रिटायरमेंट 17 अक्टूबर से पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश माननीय श्री रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्ययी संविधान पीठ द्वारा दिया गया यह फैसला देश के लिए अमूल्य तोहफा है जिसका प्रत्येक भारतीय को तहे दिल से स्वीकार कर उन्हें धन्यवाद देना चाहिए! हालांकि एक -आध सियासत दानों को छोड़कर देश के सभी धर्मलंबियों व वर्गों ने संविधान पीठ के फैसले को सिर माथे पर लेते हुये इसका स्वागत किया है! आर्थिक संकट, मंहगाई और सरकार के अटपटे फैसलों से हलकान गरीब व मध्यम वर्ग ने भी श्री रंजन गोगोई और संविधान पीठ के इस साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय को यह कहते हुये अंगीकार किया है कि चलो बहुत अच्छा हुआ अब कम से कम यह जानलेवा और आपस में भाईचारा समाप्त करने वाला यह मुद्दा तो सफलतापूर्वक हल हो गया! माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस अभूतपूर्व फैसले से आज मेरे साथ अस्सी-नब्बे के दशक में कोलकाता के मुक्ताराम बाबू स्ट्रीट मैदान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाने वाले राम कोठारी व शरद कोठारी की आत्माओं को स्वर्ग में परम् शांति का अनुभव हो रहा होगा जो इसी नारे” रामलला हम आये हैं मंदिर वहीं बनायेंगे” को बुलंद करते हुये सन् 1990 में कारसेवा के दौरान दोनों सगे भाई पुलिस की गोली के शिकार होकर अपनी जान गंवा चुके थे!
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