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डेंगू पीड़ित 11 वर्षीय सत्यम की मौत,नहीं मिल पाया सही इलाज-CMO

संतकबीरनगर ।

जिले में डेंगू से इस वर्ष हुई एकमात्र मौत को लेकर मौके पर जांच के लिए गई स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम ने पाया कि इलाज की गलत दिशा के चलते ही लोहरौली के 11 वर्षीय सत्‍यम पाठक की मौत हुई थी। जब उसे तीब्र बुखार आया तो उसके पिता ने पहले उसे खुद मेडिकल स्‍टोर से तीन गोलियां देकर इलाज किया। इसके बाद बस्‍ती में प्राइवेट चिकित्‍सक के यहां इलाज कराने ले गए। बच्‍चे का एलाइजा टेस्‍ट तीन दिन बाद हुआ था। समय पर यह सब हुआ होता तो सत्‍यम की जान शायद बच जाती।

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जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ ए के सिन्‍हा ने जिलाधिकारी को भेजी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अभी तक की जांच मे जो बात सामने आई है उसके अनुसार सत्‍यम को गत 2 नवम्‍बर को तेज बुखार आया था। उसके पिता अजय कुमार पाठक ने उस दिन उसे सूमोफ्लेम टेबलेट खिलाया था। उसके बाद 3 नवम्‍बर को लेकर वे उसे बस्‍ती में एक प्राइवेट चिकित्‍सक अनुराग सहाय एमडी ने बस्‍ती में जांच कराई तो उसके प्‍लेटलेट की संख्‍या 28 हजार पाई गई। रोगी को पेट दर्द तथा मसूड़ों से रक्‍तस्राव होता देख चिकित्‍सक ने उसे लखनऊ भर्ती कराने की सलाह दी। 4 नवम्‍बर को उसे विवेकानन्‍द पाली क्लिनिक में भर्ती कराया गया। इसके बाद उसका प्‍लेटलेट्स निरन्‍तर कम होता गया और 10 नवमबर की सुबह 4 बजे उसकी मौत हो गई। जबकि डेंगू के इलाज में पहली सावधानी यही बरतनी चाहिए कि उसे पैरासीटामाल छोड़कर कोई भी स्‍टेरायड या दर्द की भी दवा नहीं देनी चाहिए। कोई एण्‍टीबायोटिक भी नहीं देनी चाहिए।

विभिन्‍न टीमों की जांच में यह बात आई सामने

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एसीएमओ व प्रभारी वेक्‍टर वार्न डॉ वीपी पाण्‍डेय के नेतृत्‍व में जनपद स्‍तरीय डेथ आडिट टीम और रैपिड रिस्‍पांस टीम के द्वारा लोहरौली में सत्‍यम पाठक के घर जाकर निरीक्षण किया गया। इस निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि गांव के अन्‍दर जल बहाव की स्थिति ठीक नहीं है। सभी जगह पर गंदगी व्‍याप्‍त है। परिवार के अन्‍दर डेंगू वायरस पनपने की कोई परिस्थितियां नहीं पाई गई। उसके परिवार के सभी लोगों माता पिता, दादा दादी, तथा पड़ोस के किसी भी व्‍यक्ति के अन्‍दर ज्‍वर नहीं पाया गया।

सत्‍यम को कहीं अन्‍यत्र हुआ था डेंगू – डॉ ए के सिन्‍हा

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जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ ए के सिन्‍हा ने बताया कि एसीएओ वेक्‍टर वार्न डॉ वी पी पाण्‍डेय, एपीडेमियोलाजिस्‍ट डॉ मुबारक अली, प्रभारी चि‍कित्‍साधिकारी डॉ राजेश चौधरी ने हर चीज को बारीकी से परखा है। हर चीज की निगरानी की है। लेकिन अजय कुमार पाठक के घर ऐसी परिस्थितियां नहीं पाई गईं जो डेंगू ज्‍वर के लिए जिम्‍मेदार हो। पहले उसके अन्‍दर कहीं और से डेंगू के वायरस आए और बाद में उसके इलाज में लेटलतीफी के साथ ही गलत दिशा में इलाज के चलते ऐसी स्थिति हुई ।

जिले में मौजूद हैं डेंगू के इलाज की सुविधाएं – सीएमओ

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सीएमओ डॉ हरगोविन्‍द सिंह का कहना है कि डेंगू ज्‍वर के इलाज की सारी सुविधाएं हमारे जिला अस्‍पताल से लेकर मिनी पीआईसीयू और पीआईसीयू पर उपलब्‍ध है। सारी आवश्‍यक दवाओं के साथ एम्‍बुलेन्‍स की भी सुविधा है। अगर किसी को भी ज्‍वर हो तो वह तुरन्‍त ही 108 व 102 एम्‍बुलेंस को बुलाकर अस्‍पताल जा सकता है। वहां पर विशेषज्ञ चिकित्‍सक उसका इलाज करेंगे। ऐसे मे किसी भी ज्‍वर रोग को लेकर लापरवाही नहीं की जानी चाहिए। दस्‍तक अभियान में भी यह बातें घर घर जाकर बताई गई थीं, इसके बावजूद लोग लापरवाही कर रहे हैं।

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