*रिपोर्टर अमित माँंझी अम्बेडकर नगर*
*डाक्टर साहब के रिपोर्ट के मुताबिक होना चाहिए जनसुनवाई ऐप में बदलाव*
अम्बेडकर नगर
चौदह नवंबर 2019 को पत्रकार रामू गौड़ अपने कुछ मित्रों सहित थाना जहांगीर गंज के अंतर्गत ग्राम सभा श्यामपुर अलउपुर में अपने मित्र शिवम मिश्रा के घर नाली विवाद का मामला देखने गए थे, जो शिवम मिश्रा द्वारा जिलाधिकारी से शिकायत भी किया गया था इतने में चर्चा में आया कि पत्रकार रामू गौड के पैर में अपरश की शिकायत है बातों बातों में शिवम मिश्रा ने बताया कि हमारे यहां थाना राजे सुल्तानपुर के अंतर्गत ग्राम सभा जगदीश पुर कादीपुर में राजू नाम के बहुत अच्छे डॉक्टर हैं, वहां चल कर दिखा दिया जाए आराम मिल जाएगा इतने में पत्रकार रामा गौड़ अपने सभी मित्रों सहित उस डॉक्टर को दिखाने पहुंचे परंतु जब सभी पत्रकार डॉक्टर के अस्पताल में पहुंचे तो कई पत्रकारों को देखकर डॉक्टर ने वहां पर मौजूद आदमियों से इशारा किया और सभी लोग पत्रकारों को उल्टा सीधा बोलने लगे ,इतने में रामू गौड़ अपने मित्रों सहित अस्पताल से बाहर आ गए तथा इसकी सूचना उन्होंने तुरंत मुख्य चिकित्सा अधिकारी अंबेडकरनगर को फोन पर दिया परंतु कुछ नहीं हुआ उस डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई, आखिर में डॉक्टर पत्रकारों को देख कर भड़क क्यो गया यह बात तो समझ से बाहर है इसमें कुछ राज तो जरूर है।
इसके अगले दिन कुछ वीडियो वायरल होने लगा तथा इधर-उधर चर्चा होने लगा कि यह सब पत्रकार अवैध वसूली करने गए थे परंतु वीडियो से कोई साबित नहीं कर सकता कि कहीं पर कोई अवैध वसूली या पैसो की बात हुई हो इसको वायरल करने वाले हमारे ही जिले की कुछ वरिष्ठ पत्रकार जो अपने मित्रों पर झुठा इल्जाम लगाने से परहेज नहीं करते ,क्या वह साबित कर सकते हैं अवैध वसूली, क्या कभी उस डॉक्टर साहब से पूछे कि डॉक्टर साहब अस्पताल कैसे चला रहे हैं आप की डिग्री क्या है आप अस्पताल के बाहर बोर्ड क्यों नहीं लगाये हो अक्सर देखा जाता है कि डॉक्टर लोग अस्पताल के बाहर बोर्ड लगाकर अपनी डिग्री लिख देते हैं परंतु वहां पर कुछ नहीं आखिर में ऐसा क्यों ,कहीं वायरल करने वाले पत्रकार और डॉक्टर में सेटिंग तो नहीं, बिना बोर्ड का अस्पताल यह बात सवालों के घेरे में।
15 नवंबर को पत्रकार रामू गौड़ इस सब की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर किया और नाम पता सब सही डाला गया जिसकी जांच रामनगर अस्पताल को मिला और रामनगर अस्पताल के डॉक्टर साहब ने लिख दिया यह मेरे कार्य क्षेत्र से बाहर हैं इसकी शिकायत जहांगीर अस्पताल पर किया जाए और निस्तारित कर दिए जबकि उनको निस्तारित करने के बजाय वापस सही जगह भेजना चाहिए ,परंतु यह बात समझ से परे है मुख्यमंत्री पोर्टल पर ऐसा कोई ऑप्शन ही नहीं कि शिकायत डायरेक्ट उसी जगह पर किया जाय उसमें जहां का शिकायत रहता है वहां खुद पहुंच जाता है परंतु चिकित्सा विभाग दूसरे अस्पताल को जांच सौंप कर क्या साबित करना चाहता है, डॉक्टर साहब की रिपोर्ट के अनुसार मैं मुख्यमंत्री जी से ही चाहूंगा कि अपने पोर्टल ऐप में बदलाव कर दे जिससे कि शिकायत डायरेक्ट वहां पहुंचे वरना शिकायत का निस्तारण में लिखा जाएगा मेरी कार्य से बाहर है और निस्तारण भी नहीं होगा, क्योंकि ऐप में ऐसा विकल्प नहीं है, और सीधे तौर पर कह सकते हैं कि चिकित्सा विभाग अपने विभाग के चाहे फर्जी डॉक्टर या और जांच नहीं करना चाहता परंतु वरिष्ठ पत्रकार भाई अपने ही पत्रकार भाइयों को बदनाम करने में पीछे नहीं हैं परन्तु बदनाम करने के साथ साथ अगर साबित कर सके तो अच्छी बात नहीं तो झूठा बदनाम न करे।