श्रीगोपाल गुप्ता की रिपोर्ट
महाराष्ट्र में लगभग एक महिने से लगातार जारी घमासान और चल यार अब पल्टी मार से यह साबित हो गया है कि भारत में राजनीति संभावनाओं का खेल है. संभावनाओं का खेल भी ठीक मौसम की तरह है जिसे खुद नहीं मालूम कि आज ग्लोबल वार्मिंक के इस दौर में उसका मिजाज कैसा होगा? यदि गत एक महिने से महाराष्ट्र के राजनीतिक तापमान पर नजर डाली जाये तो आसानी से समझा जा सकता है कि राजनीति पूरी तरह संभावनाओं का खेल साबित हुआ है! अब ये दीगर बात है कि इस संभावनाओं के खेल ने अच्छों-अच्छों का खेल बिगाड़ कर उनका तेल निकाल दिया तो वर्षों से महाराष्ट्र में घुर विरोधी पार्टी रही कांग्रेस, एनसीपी-शिवसेना को एक साथ लाकर साथ खड़ा कर दिया! समूचे राष्ट्र के साथ-साथ दुनिया ने इस एक महिने में भारत के खूबसूरत लोकतंत्र को दरकते,टूटते और सरे राह सिसकते देखा कि किस प्रकार से कभी न बिछूड़ेंगे हम दोस्तो की कसम खाने वाले शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के कर्णधार सत्ता सुख और खुद के अहम के कारण टूट कर बिखर गये और अपने साथ-साथ देश के राष्ट्रपति और महाराष्ट्र के राज्यपाल को संदेह के दायरे में खड़ा कर गये! गत 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम आने के बाद से 9 नवंबर तक राष्ट्रपति शासन लगने तक राज्यपाल की भूमिका लगभग संविधान के दायरे में सीमित रही! मगर सत्ता के दंभ में नीचे गिरने की कहानी 22 नवंबर शाम को उस समय शुरु हो गई जब राष्ट्रीय कांग्रेस के दिग्गज शरद पवार ने ये घोषड़ा की कांग्रेस और एनसीपी ने तय किया है कि हमारे समर्थन से महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे बनेंगे!
इसके तात्काल बाद आठ बजे भाजपा दिग्गज और राज्य के निर्वतमान मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात कर उनकी नजर में राज्य के भ्रष्टाचारी नंबर वन रहे एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार के समर्थन से सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत कर दिया!राज्यपाल महोदय ने बिना कोई अपने संविधानिक सवाल-जबाव कर बिना कोई संतुष्टि किये रातों-रात राज्य मे से राज्यपाल शासन हटाने की सिफारिश माननीय राष्ट्रपति महोदय से कर दी! मजाक देखिये कि लोकतंत्र को धता बताते हुये लोकतंत्र की शपथ लेने वाले राष्ट्रपति महोदय ने सिफारिश मानते हुये 23 नवंबर की अल सुबह 5-47 पर दस्तखत कर दिये, इसके लिए उन्हें कैबिनेट की सिफारिश का संविधानिक दायरा भी याद नहीं रहा! इधर लोग सोकर उठते उससे पहले ही राज्यपाल कोश्यारी महोदय ने होशियारी दिखाते हुए फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार उप मुख्यमंत्री की शपथ दिलाकर 14 दिन लंबे समय में बहुमत साबित करने का समय दे दिया! सही मायनों में नेताओं के बोझ तले दबे लोकतंत्र की सांसे बदस्तूर जारी हैं तो उसका श्रेय माननीय अदालतों को जाता है यह साबित गत दिवश माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश स्पष्ट हो गया! राज्यपाल के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में पहुंची कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना को निराश न करते माननीय न्यायालय ने 14 दिनों को सीमित करते हुये बहुमत सिद्धी के लिए 36 घण्टे तय कर दिये! देखत-देखते कुछ ही घंटों में पहले उप मुख्यमंत्री अजित पवार फिर तीन बजते-बजते देवेन्द्र फडणवीस भी शहीदी प्रेस-कान्फ्रेंस करके राज्यपाल को इस्तीफा सोंपकर बड़े बे-आबरु होकर कूंचे से पलायन कर गये! अब जब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को राज्यपाल महोदय ने कांग्रेस व एनसीपी के समर्थन के माध्यम से मुख्यमंत्री के लिये आमंत्रित कर दिया है और शपथ ग्रहण का स्थान शिवाजी पार्क घोषित कर दिया है तो यह तह है कि अगले मुख्यमंत्री वे ही होंगे! मगर इस गठबंधन में भी बिंसगतिया इतनी है कि ये सरकार कब तक चलेगी? यह कहना और समझना सबके लिये असंभव है! फिर भी एक महिने की छल-कपट और चल यार अब पल्टी मार के बाद उम्मीद की जानी चाहिए कि ड्रामे के बाद सरकार अपना पूरा कार्यकाल तय करेगी और महाराष्ट्र की जनता के हित काम करेगी!