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कब रुकेगा रेलवे ट्रैकों पर मौत का बढ़ता आंकड़ा ?– अशोक भाटिया वसई रोड यात्री संघ

महाराष्ट्र ।

वसई रोड यात्री संघ के महामंत्री अशोक भाटिया ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिख कर सवाल किया है कि आखिर रेल ट्रेकों पर मौत का बढ़ता आंकड़ा कब रुकेगा ? उन्होंने इसके बारे में रेल मंत्री को अपनी बात का विस्तार करते हुए बताया कि मुम्बई की उपनगरीय लोकल ट्रेन वहां की लाइफ लाइन है, बावजूद इसके सुरक्षा के मानकों को यह तरजीह नहीं दी जाती। उपनगरीय ट्रेनों से प्रतिदिन 80 लाख से अधिक लोग यात्रा करते हैं। मुंबई में ट्रेनों में बहुत भीड़ होती है, इसलिए यात्री अपनी जान जोखिम में डालकर रेलवे के दरवाजे से बाहर खड़े होकर अपना सफर तय करते हैं। इस कारण रेलवे से गुजरने के दौरान ट्रेनों से गिरकर मरने वालों की संख्या औसतन प्रतिदिन 10 से 12 की होती है।

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भले ही भारतीय रेलवे को मुंबई में सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है लेकिन भारतीय रेलवे मुंबईवासियों की सुरक्षा के लिए गंभीर नहीं है। मुंबई में 2017 के मुकाबले 2018 में कोई विशेष बदलाव नहीं हुए है। सूचना के अधिकार कानून के तहत जनवरी 2018 से दिसंबर 2018 तक मुंबई रेलवे ट्रैक पर 2981 यात्रियों की जान गई और 3349 यात्री घायल हो गए।जब एक आरटीआई कार्यकर्ता ने मुंबई रेलवे पुलिस से जनवरी 2018 से दिसंबर 2018 तक मुंबई की उपनगर रेलवे से लोगों की मौत और घायलों का विवरण मांगा था। इस संबंध में मुंबई पुलिस के सार्वजनिक सूचना अधिकारी ने जानकारी प्रदान की थी । जानकारी के अनुसार, मुंबई उपनगरीय रेलवे ट्रैक पर रेल की पटरी पार करते समय 2981 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 3349 यात्री घायल हुए हैं। मध्य रेलवे मार्ग में कुल 1933 यात्रियों की मौत हुई और 1920 लोग घायल हुए। इसी तरह पश्चिम रेलवे के रास्ते में 1048 यात्रियों की मौत हुई और 1429 यात्री घायल हुए। मुंबई के एक हिंदी अख़बार ने तो शेयर बाज़ार, सर्राफा ,मौसम के आंकडे की तरह ‘ पटरी पर हादसे ‘ का भी एक कालम रखा है | उस कालम की माने इस वर्ष तो नवम्बर तक औसतन 2500 लोग मौत पार कर चुके है और इतने ही घायल भी हो चुके है | अकेले वसई में ही 55 लोगों ने अपनी जान गवाई है व् 120 लोग रेल ट्रेकों पर घायल हुए हैं |

रेल ट्रैकों पर लोगों की जान जाने का प्रमुख कारण अनाधिकरत प्रवेश , ट्रेनों से मुसाफिरों का गिर जाना , दुर्घटना और ख़ुदकुशी बताया जाता है । रेल्वे केवल सार्वजनिक घोषणा कर अपनी ज़िम्मेदारी से बचना चाहती है यदि इसी से दुर्घटनाए रुक सकती तो कोई भी व्यक्ति केंसर या एड्स से नहीं मरता । शराब पीकर गाड़ी चलाना अपराध है केवल इस संवेद्धांतिक चेतावनी से मौते नहीं रुकती । एक आरटीआई कार्यकर्ता के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेलवे क्रॉसिंग सुरक्षा दीवार के निर्माण का आदेश दिया है लेकिन रेलवे प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। रेलवे प्रशासन कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर रहा है। हमारा रेल मंत्री पीयूष गोयल और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष से सवाल है कि और कितने लोगों की जान जाने के बाद रेल प्रशासन इन घटनाओं का संज्ञान लेगा? एक सुझाव यह भी है कि यदि रेलवे मेट्रों की तरह लोकल ट्रेन में भी ऑटोमेटिक दरवाजे लगाए व टिकट में बीमा राशि जोड़ दी जाय तो थोड़ी राहत हो सकती है क्योकि किसी भी यात्री की मृत्यु पर उसका सारा परिवार बिखर जाता है |
अशोक भाटिया
महामंत्री – वसई रोड यात्री संघ
( वसई – विरार की सबसे पुरानी व बड़ी संस्था )
अ / 001 वैंचर अपार्टमेंट , वसंत नगरी
वसई पूर्व ( जिला पालघर ) 401208 महाराष्ट्र
मो.9221232130

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