सांकेतिक चित्र
नई दिल्ली ।
चुनावी रैलियों में लगातार भाजपा नेताओं की ओर से बयान दिए गए थे कि जिस तरह असम में NRC लागू हुई, उसी तरह पूरे देश में इसे लागू किया जाएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने भी एक कार्यक्रम में कहा था कि पहले CAA आएगा और उसके बाद NRC आएगा. इसी को आधार बनाकर विपक्ष की ओर से लगातार सरकार पर निशाना साधा गया और केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाए गए.
दरअसल, हाल ही में जब असम में NRC लागू की गई थी तो 19 लाख लोगों का नाम उसमें शामिल नहीं था. इसमें पूर्व सैनिक, नेताओं के परिवार, यूपी-बिहार के लोगों समेत काफी ऐसे लोग थे जो कि खुद की नागरिकता साबित नहीं कर पाए थे. असम का यही उदाहरण जनता के बीच भय का माहौल बना रहा है और उनकी प्रतिक्रिया सरकार के लिए चिंता का विषय बन रही है.
सरकार ने दी सफाई, सवाल-जवाब में समझाया मसला
इस कन्फ्यूजन के बीच मोदी सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि लोगों को CAA-NRC में अंतर समझाया जाए, इसके लिए अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन दिया गया. वहीं सवाल-जवाब की लिस्ट जारी की गई है, जिसमें इससे जुड़े 13 मुद्दों पर बात की गई है.
सरकार के जवाब में बताया गया है कि NRC अभी लागू नहीं हुई है और अगर होती है तो उसमें नागरिकता साबित करना मुश्किल नहीं है, क्योंकि इसमें उन्हीं कागजातों की जरूरत होगी जो आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड बनाने के लिए होती है. ऐसे में सरकार जब इसे लागू करेगी तो जनता को सूचित किया जाएगा.
साभार aajtak