न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला: तीन बच्चियों के हत्यारे पिता और उसके दोस्त को आजीवन कारावास
(रिपोर्ट मोहम्मद सईद)
संतकबीरनगर। जनपद के धनघटा थाना क्षेत्र में वर्ष 2020 में हुई तीन मासूम बच्चियों की निर्मम हत्या के चर्चित मामले में न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सत्र न्यायाधीश मोहनलाल विश्वकर्मा ने शनिवार को हत्यारे पिता सरफराज खान और उसके सहयोगी नीरज मौर्य को सश्रम आजीवन कारावास और 35-35 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न चुकाने पर दोनों को तीन माह का अतिरिक्त कारावास भी भुगतना होगा।
घटना जिसने झकझोर दिया था जनमानस
31 मई 2020 को यह घटना पूरे जनपद ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में सनसनी का कारण बनी थी। डिहवा निवासी सरफराज खान ने अपनी ही तीन बेटियों—सना (7 वर्ष), सवा (4.5 वर्ष) और शमा (2.5 वर्ष)—को अपने दोस्त नीरज मौर्य की मदद से बीड़हर घाट पुल से नदी में फेंककर मौत के हवाले कर दिया था।
पत्नी साबिरा खातून ने पुलिस को बताया था कि सरफराज अपनी पत्नी और बच्चियों से पीछा छुड़ाना चाहता था। घटना के बाद सरफराज ने झूठा नाटक रचते हुए यह कहानी बनाई कि रास्ते में बदमाशों ने बच्चियों का अपहरण कर लिया। लेकिन विवेचना और गवाहों के बयान में सच्चाई सामने आई और पिता का घिनौना चेहरा उजागर हो गया।
लंबी कानूनी जंग और अभियोजन की भूमिका
इस बहुचर्चित मामले की पैरवी जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विशाल श्रीवास्तव ने की। उन्होंने बताया कि अभियोजन की ओर से 9 गवाह पेश किए गए, जिन्होंने पूरे घटनाक्रम की पुष्टि की। वहीं, बचाव पक्ष ने 6 गवाह प्रस्तुत किए, लेकिन अदालत ने अभियोजन की दलीलों को सशक्त मानते हुए आरोपियों को दोषी ठहराया।
जनमानस में आक्रोश और राहत-
तीन मासूम बच्चियों की हत्या ने पूरे जनमानस को आहत किया था। लंबे समय तक लोग इस निर्ममता को भूल नहीं पाए। गांव से लेकर अदालत तक यह मामला चर्चा का विषय बना रहा। आज जब अदालत ने दोषियों को सजा सुनाई तो पीड़ित पक्ष सहित क्षेत्रीय जनता ने इसे न्याय की जीत माना।
हमारी दृष्टि से
यह घटना समाज के सामने कई सवाल छोड़ जाती है, एक पिता, जो संतान की रक्षा का सबसे बड़ा सहारा होता है, वही जब जालिम बन जाए तो मानवीय संवेदनाओं पर बड़ा प्रहार होता है।
यह मामला न केवल व्यक्तिगत विकृत मानसिकता को उजागर करता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि कानून के कठोर शिकंजे से कोई अपराधी नहीं बच सकता।
अदालत का यह फैसला आने वाली पीढ़ियों के लिए एक चेतावनी है कि परिवारिक विवाद या मानसिक असंतुलन के चलते मासूमों की बलि देना समाज और न्याय—दोनों के लिए अस्वीकार्य है।
👉 न्याय भले ही देर से मिला हो, लेकिन इस फैसले ने यह साबित किया कि अपराध चाहे कितना भी घिनौना क्यों न हो, अंततः कानून का डंडा अपराधियों पर चलता है और पीड़ितों को न्याय मिलता है। #highlight #JusticeServed #LifeImprisonment #SantKabirNagarCase #JusticeForInnocents #CrimeAndPunishment #NoEscapeFromLaw #VerdictOfJustice #FatherTurnedKiller #JusticePrevails #TruthWins। #न्याय_की_जीत #मासूमोंकाबलिदान #संतकबीरनगरहत्याकांड #आजन्मकारावास #अपराधपरवार #breaking #न्यायकाफैसला #हत्यारेकोसजा #समाजकाआइना #कानूनकाआतंक #न्यायकाजीत #BreakingNews

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