दो दशक पुराना प्रकरण: अपात्र व्यक्तियों को कृषि भूमि आवंटित करने के मामले में, जिलाधिकारी ने राजस्व निरीक्षक को किया निलंबित
(रिपोर्ट मोहम्मद सईद पठान)
मिशन संदेश संतकबीरनगर । जिलाधिकारी आलोक कुमार द्वारा राजस्व व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की मंशा से की जा रही सतत प्रशासनिक समीक्षा के क्रम में एक महत्वपूर्ण कार्रवाई सामने आई है। वर्ष 2000 में अपात्र व्यक्तियों को कृषि भूमि आवंटन में गड़बड़ी पाए जाने के संबंध में जिलाधिकारी ने तत्काल प्रभाव से राजस्व निरीक्षक अशोक कुमार पाल को निलंबित करते हुए उन्हें राजस्व निरीक्षक कार्यालय तहसील खलीलाबाद से संबद्ध कर दिया है।
अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) चंद्रेश कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि यह प्रकरण राजस्व ग्राम रामपुर, तप्पा शिवबखरी, तहसील धनघटा से संबंधित है, जहाँ वर्ष 2000 में लेखपाल रहते हुए अशोक कुमार पाल ने भूमि आवंटन में नियमों की अनदेखी कर अपात्र व्यक्तियों को लाभ पहुंचाया था।
क्या था मामला?
जांच में यह पाया गया कि
- आवंटन हेतु स्वीकृत भूमि की सीमा 1.265 हे० (3.125 एकड़) निर्धारित थी,
- किंतु वर्ष 2000 में आवंटियों रामफेर, रामदौर, रामलौट पुत्रगण कुन्दन को इससे अधिक भूमि मिलाकर अनियमित रूप से लाभ दिया गया।
- आगे 06.11.2000 की स्वीकृति में भी रामलौट, रामशकल (पुत्रगण कुन्दन), लोलाराम पुत्र पियारे (ग्राम परसा) और रामअजोर पुत्र गंगाप्रसाद (ग्राम रामपुर) को आवंटन देते समय उ.प्र. जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा 198(3)(i) का उल्लंघन किया गया।
जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि आवंटियों की आर्थिक स्थिति सक्षम थी, इसके बावजूद उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से कृषि पट्टा पत्रावली तैयार की गई, जो कि स्पष्ट रूप से नियम-विरुद्ध एवं भ्रष्टाचारपूर्ण कृत्य है।
प्रशासन का स्पष्ट संदेश
इस निलंबन आदेश को दो दशक पुराने भूमि प्रकरण में की गई एक ऐतिहासिक कार्रवाई माना जा रहा है। जिला प्रशासन का यह कदम संकेत देता है कि चाहे मामला कितना भी पुराना क्यों न हो, राजस्व विभाग में अनियमितता और भ्रष्टाचार को छिपाया नहीं जाएगा, और दोषियों को हर हाल में जवाबदेह ठहराया जाएगा।

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