श्रीगोपाल गुप्ता
मध्य प्रदेश में गत एक सप्ताह से भयंकर घमासान छिड़ा हुआ है! कोई पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को ब्लैकमेलर नंबर एक और अवैध रेत उत्खनन व शराब माफियाओं से उनके तार जुड़ा होना साबित करने पर तुला हुआ है तो कोई वनमंत्री उंमग सिंघार और शराब माफियाओं के साथ उनके संबंधों के वीडियो वायरल करने में लगा है! इधर कांग्रेस के क्षत्रप व पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद की ही कांग्रेस व मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार को किसानों का कर्ज माफ न करने पर चैन नहीं लेने देने की हूंकार भर रहे हैं तो उनके ही विधायक उनके खास स्वास्थ मंत्री तुलसी सिलावट पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप चस्पा कर रहे हैं!इसी बीच कांग्रेस की प्रदेश सरकार के काबीना व वरिष्ठ मंत्री गोविंद सिंह खुद के भिण्ड जिले के कलेक्टर व रेंज के आईजी पुलिस पर अवैध रेत उत्खनन में शामिल रहना का आरोप मढ़ रहे हैं तो अवैध रेत उत्खनन के आरोपों से वे भी अछूते नहीं रह पाये! उन पर उनकी पार्टी के गोरमी विधायक रणवीर जाटव ने ये आरोप लगाये हैं! कांग्रेस में मच रहे इस आरोप लगाओ घमासान में अब दिग्गजों, मंत्री-विधायकों के साथ-साथ अब पार्षद व पूर्व जनप्रतिनिधी भी कूंद गये हैं! राजधानी भोपाल नगर पालिक निगम के पार्षद गुड्डू चौहान ने वनमंत्री उमंग सिंगार पर दिग्विजय सिंह पर झूठे आरोप लगाने पर कठिन कार्यवाही करने के लिए पोस्टर युद्ध छेड़ दिया है वहीं मुरैना नगर पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष एंव पूर्व विधायक स्व. सोवरन सिंह मावई के पुत्र प्रबल प्रताप सिंह मावई “रिंकू” ने तर्कों के साथ सिंघार को पार्टी से बाहर करने की मांग की है!
दरअसल अपने एक बयान के कारण प्रबल प्रताप सिंह मावई को पार्टी ने गत 29 अप्रैल को निलंबित कर दिया था! लोकसभा चुनाव के दौरान ग्वालियर में एक सभा में रिंकू मावई ने अपने संबोधन में नाम लिये बगैर कहा था कि दिल्ली में रहना वाला एक बड़ा कांग्रेस का नेता हमारे प्रत्याशी को हराने का काम करता है! इस बयान पर सिंधिया समर्थक एक मंत्री और ग्वालियर के कांग्रेस विधायकों ने हंगामा खड़ा कर रिंकू मावई को कांग्रेस से छह वर्ष के लिए निलंबित करवा दिया! मगर रिंकू मावई के 29 अप्रैल के जबाव से संतुष्ट होकर मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने उनका निलंबन रद्द कर दिया! इस पर पुनः सिंधिया समर्थक मंत्री-विधायकों ने इस्तीफा देने की धमकी देकर पुनः कांग्रेस से बाहर करवा दिया! ऐसे में रिंकू मावई की दर्द कथा में दम प्रतित होता है कि जब मुझे अकारण कांग्रेस से निकाला जा सकता है तो वनमंत्री उमंग सिंघार को क्यों नहीं? जबकि दिग्विजय सिंह कांग्रेस के मुखर और वरिष्ठ नेता हैं! जिन पर गंभीर आरोप लगाकर सिंघार ने सिंह और कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है! हालांकि यह सच है कि बिगत पन्द्रह वर्षों से शासन में रही भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्रियों व भाजपा ने दिग्विजय सिंह के 10 वर्षों के शासनकाल की कई मर्तबा जांच करवा कर उन्हें घेरने का प्रयास किया, लेकिन हर बार नतीजा सिफर रहा! शायद यही कारण है कि भाजपा के खिलाफ केवल दिग्विजय सिंह ही काफी मुखर हैं और उनके बयानों के तीरों से छलनी भाजपा आजतक उनको घेर नहीं पाई! मगर आज कांग्रेस में ही दिग्विजय सिंह के खिलाफ कांग्रेस के मंत्री द्वारा भ्रष्टाचार, ब्लैकमेलर, अवैध रेत उत्खनन व शराब माफियाओं से सांठगांठ करने के आरोप गंभीर और दुर्भाग्य पूर्ण हैं! अतः ऐसे में प्रबल प्रताप सिंह मावई यह कहना तर्कसंगत जान मालूम पड़ता है कि भले ही सरकार चली जाये मगर कांग्रेस के संस्कार जिंदा रहना चाहिए! हालांकि पूरा मामला अब सोनिया गांधी और मुख्यमंत्री कमलनाथ के समक्ष आ गया है जो डैमेज कंट्रोल के साथ-साथ पार्टी में अनुशासन कायम करने में लग हैं, मगर उनको यह भी देखना चाहिये की प्रदेश कांग्रेस में मचे इस घमासान में जिम्मेदार कोन हैं?