पुलवामा में 14 फरवरी को CRPF के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद गृह मंत्रालय में लगातार बैठकों का दौर चलता रहा. जिसमें इस बात को लेकर माथापच्ची होती रही कि कैसे पुलवामा जैसे हमले होने से रोका जाए. गृह मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक इस घटना के बाद अब तक 8 उच्च स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह, गृह सचिव, एनएसए अजीत डोभाल और अर्धसैनिक सुरक्षाबलों के प्रमुखों समेत आंतरिक सुरक्षा से जुड़े आला अधिकारियों से इस बाबत इनपुट लिए गए कि कैसे इस तरह के खतरों को टाला जाए.
जिसका परिणाम ये रहा कि अब घाटी में सुरक्षा व्यवस्था के नए तरीके पर समीक्षा की जा रही है. इसमें महत्वपूर्ण एलीमेंट वो वाहन है, जिसमें जवानों को ट्रूप्स मूवमेंट के समय एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है. सूत्रों के मुताबिक इन वाहनों को और आधुनिक बनाने का फैसला लिया गया है.
गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जितने भी वाहन घाटी में जवानों के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे उन पर 3 अहम चीजों को तत्काल प्रभाव से आने वाले दिनों में लैस किया जाएगा. पहली चीज ‘मॉड्यूलर बैरियर’ जिसको आसानी से कही भी इंस्टॉल और शिफ्ट किया जा सकता है. कितनी भी तेजी से आ रही गाड़ी चाहे वो जितनी भी भारी हो, इस बैरियर की मदद से तुरंत ये गाड़ी वहीं रुक जाएगी. सुसाइड बॉम्बिंग वाहन को रोकने के लिए ये बहुत कारगार है. इन्हें मुख्य रास्ते की बजाय गलियों में लगाया जाएगा जो मुख्य सड़क से जुड़ी होती हैं, क्योंकि पुलवामा हमला जो हुआ था उसमें भी गली से ही गाड़ी आई थी और काफिले से टकरा गई थी. घाटी के अहम रास्तों पर ऐसे बैरियर लगाने का बड़ा प्लान तैयार कर लिया गया है.