Source by-bekhabar samaj
संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने शनिवार को ऐतिहासिक कुतुब मीनार में पहली बार स्थापत्य एलईडी रोशनी का उद्घाटन किया था ।
रोशनी के साथ 12 वीं शताब्दी के स्मारक की स्थापत्य सुंदरता सूर्यास्त के बाद अपनी ऐतिहासिक महिमा को प्रदर्शित करेगी।
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री पटेल ने कहा था कि कुतुब मीनार हमारी संस्कृति का सबसे बड़ा उदाहरण है। यह एक ऐसा स्मारक है, जो 27 मंदिरों को ढहाकर बना था और आजादी के बाद भी यह विश्व धरोहर है।
उन्होंने इस दौरान परिसर में मौजूद 24 फीट ऊंचे लोहे के स्तंभ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “यह लौहस्तंभ स्मारक से सदियों पुराना है। खुले आसमान में अस्तित्व के 1,600 साल बाद भी इसमें जंग नहीं लगा है।”
उन्होंने कहा की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को स्मारक के इतिहास और महत्व को ध्यान में रखते हुए इस पर तख्ती लगानी चाहिए।
महरौली में कुतुब मीनार के निर्माण से पहले मुगलों द्वारा मंदिरों को ध्वस्त करने के बारे में बताते हुए पटेल ने कहा, “जिस समय एएसआई ने कुतुब मीनार को अपने संरक्षण में लिया, उस समय योगमाया मंदिर अस्तित्व में था। हर किसी को हैरानी है कि उस विशेष मंदिर को एएसआई को क्यों नही सौंपा गया, हो सकता है कि वह दैनिक पूजा का स्थान था।”