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शरद पवार बने भारतीय राजनीति के नए शिरोधार्य

श्रीगोपाल गुप्ता

गत 22 नवंबर को मुंबई में एनसीपी और कांग्रेस के विधायकों की बैठक के बाद जब शरद पवार ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति व्यक्त करते हुये उनको महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री बताया, तो बनने वाली सरकार का सारा श्रेय उनको ही गया! उनके बयान के बाद अब यह साफ हो चला था कि लंबी कबायद के बाद अंततः कांग्रेस उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रुप में स्वीकार कर चुकी है! मगर इससे पहले कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी तीनों दल राज्यपाल के सम्मुख अपना दावा पेश करते कि अचानक उससे पहले ही 23 नवंबर को सुबह आठ बजे महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी नव-निर्वाचित एनसीपी विधायक दल के नेता और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के कथित समर्थन पत्र के आधार पर भारतीय जनता पार्टी के देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उप मुख्यमंत्री की शपथ दिलवा चुके थे!सुबह-सुबह घटे इस अविस्मरणीय घटनाक्रम ने जहां देश को हैरत में डाल दिया वहीं शरद पवार, शिवसेना और कांग्रेस हतप्रभ रह गये! इस घटनाक्रम से चारो तरफ से शक कि सुई कुछ ही दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले शरद पवार की और उठ गई, अंदर खाने अजीत के इस कदम को शरद का समर्थन माने जाने लगा! सन् 1955 से गोवा मुक्ति आंदोलन से राजनीति की शुरुआत करने वाले शरद पवार के लिए ये सबसे बड़ी अग्नि परीक्षा थी कि वे पार्टी और परिवार में आई इस दरार और संकट का सामना कैसे करेंगे? मगर राजनीति का सात दशकों का अनुभव रखने वाले और महाराष्ट्र के चार दफा मुख्यमंत्री व केन्द्र की सरकारों में कई मर्तबा शिरकत कर चुके पवार ने बड़े धेर्य के साथ पार्टी, परिवार और विश्वसनीयता पर आये इस संकट का न केवल औचित्य पूर्ण समाधान किया बल्कि भारतीय राजनीति के नये शिरोधार्य बनकर उभरे!सबसे बड़ी और खास बात ये रही कि पवार ने भारतीय जनता पार्टी और इसके चाणक्य को उसी के दांव में फंसाकर चारो खाने चित्त कर दिया!

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इस मामले में देवेन्द्र फडणवीस और बीएस येदियुरप्पा से भी कम समय केवल चोबीस घण्टों के मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड कायम कर चुके उत्तर प्रदेश के डुमरियागंज से भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल का सही कहना है कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाने का श्रेय केवल और केवल शरद पवार को जाता है क्योंकि वे महाराष्ट्र की राजनीति के भीष्मपितामह हैं! उनका ये भी कहना है कि भीष्मपितामह शरद पवार जब तक महाराष्ट्र में हैं तब तक इस सरकार पर कोई खतरा नहीं है! इस घटनाक्रम के पूर्व विधानसभा चुनाव के दौरान भी ईडी जांच का सामना कर रहे पवार ने सभी आशांकाओं और चुनावी सर्वों को धता बताते हुये पूरी दमदारी के साथ चुनाव परिणामों धमाकेदार प्रदर्शन किया और अपने साथ-साथ कांग्रेस को भी किनारे पर ले आये! ये शरद पवार की ही बिसात थी कि वे कांग्रेस और शिवसेना जैसी धुर-विरोधी कभी भी एक-दूसरे को फूटी आंख न देखने वाली पार्टियों को एक साथ एक मंच पर ले आये! इसके लिए उन्होने एक महिने में दिल्ली कांग्रेस सुप्रीमों सोनिया गांधी से मुलाकात के कई फेरे किये मगर अंततः वे विपक्षी एकता के बड़े पैरोपकार बनकर राजनीति के नये शिरोधार्य बनकर सामने आये! ऐसे में हो सकता है कि भविष्य में शरद पवार का उपयोग प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की काट के लिए विपक्षी एकता के लिए किया जाये! चूकि पूर्व में विपक्ष को साझा करने अथक प्रयास करने वाले आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व टीपीडी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को आंध्र की जनता ही चुनाव में नकार चुकी है जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने तो स्वयं ही नरेन्द्र मोदी अंगीकार कर लिया है! ऐसे में शरद पवार के रुप में विपक्षी एकता को नया धुरंधर मिलता हुआ दिखाई दे रहा है! जिस धेर्य के साथ महाराष्ट्र संकट के समाधान के लिए सोनिया गांधी ने पवार पर विश्वास किया और जो बेहतर परिणाम विपक्ष के लिए आये हैं उससे मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का भी उनमें विश्वास और अधिक गहरा बैठ गया है!

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