संवाददाता रामा नन्द तिवारी
नई दिल्ली,
साइबर क्राइम देश की राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS, New Delhi) के दो अलग-अलग बैंक खातों से साइबर अपराधियों ने चेक क्लोनिंग कर करीब 12 करोड़ रुपये निकाल लिए। इस घटना के बाद भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) ने भी देशभर की बैंक शाखाओं में अलर्ट जारी कर दिया है। साइबर अपराधियों ने यह रकम एक माह के दौरान मुंबई, चेन्नई और कोलकाता आदि शहरों में बैठकर निकाले हैं। एम्स प्रशासन ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (इओडब्लू), एसबीआइ सहित सीबीआइ में इसकी शिकायत की है।
आर्थिक अपराध शाखा ने मामले की छानबीन शुरू कर दी है। अक्टूबर और नवंबर में साइबर ठगों ने चेक क्लोनिंग के जरिये एम्स के खाते से 12.44 करोड़ रुपये निकाल लिए। इसमें एम्स के निदेशक के खाते से करीब सात करोड़ रुपये जबकि डीन के नाम वाले खाते से करीब पांच करोड़ रुपये निकाले। बड़ी रकम निकाले जाने का मैसेज आने पर प्रशासन ने एसबीआइ से इसकी जानकारी मांगी।
जाने की बात सामने आई। इस पर एम्स प्रशासन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सहित पुलिस को सूचना दी। इसके बाद एसबीआइ ने भी इस मामले में आंतरिक जांच शुरू कर दी है। हालांकि अब तक की जांच में बैंक यह स्पष्ट नहीं कर सका है कि ठगी कैसे हुई। नियम के मुताबिक दो लाख रुपए से ज्यादा की रकम का चेक पास करने से पहले बैंक इसकी सूचना खाताधारक को देता है। लेकिन, इस मामले में बैंक ने ऐसा नहीं किया।
इस घटना के बाद एसबीआइ ने भी देशभर
की बैंक शाखाओं में अलर्ट जारी कर दिया है। उन्हें कहा गया है कि एम्स से संबंधित किसी भी चेक का निस्तारण सावधानी से करें।
इधर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इतनी बड़ी जालसाजी बिना बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत के संभव नहीं है। प्रथम दृष्टया इस मामले में बैंक अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी सामने आ रही है। ऐसे में आशंका है कि इस घटना में एम्स या फिर बैंक का कोई कर्मचारी शामिल हो। हालांकि, इसका खुलासा पुलिस जांच के बाद ही हो सकेगा। वहीं, एम्स प्रशासन की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री) को भेजी गोपनीय रिपोर्ट में इस गड़बड़ी के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को जिम्मेदार ठहराया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, ठगी के इस तरह के मामलों में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) का दिशानिर्देश है कि तीन करोड़ रुपये से ऊपर की ठगी के मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) से कराई जाए। इसलिए इसकी जांच के लिए सीबीआइ को भी लिखा गया है।