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जनसूचना अधिकार का गला घोंटने पर तुले हैं जनसूचना अधिकारी और जनसूचना आयुक्त,आवेदकों में छाई निराशा

जनसूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का गला घोंटने पर तुले हैं, जनसूचना अधिकारी और जनसूचना आयुक्त”जनसूचना आवेदकों में निराशा छाई”:-
जनसूचना का अधिकार अधिनियम 12अक्तूबर 2005ई0में लागू किया गया।
जिसका मुख्य उद्देश्य रहा, भ्रष्टाचार को रोकना और आमजन की समस्याओं का सरलता से निदान करना।
लेकिन अफसोस इस बात का है कि वर्तमान समय में अधिकांश विभागीय जनसूचना अधिकारी लापरवाही और तानाशाही करते हुए मांगे गए किसी भी बिन्दु की सूचना नहीं देते हैं।
बल्कि मांगी गई सूचना के साथ जमा शुल्क पोस्टल आर्डर रूपये दस /नगद को भी मज़े से हड़प ले रहे हैं।
इन लोगों का ऐसा रवैया बेहद शर्मनाक और निंदनीय है।
इनके द्वारा न तो अधिनियम की धारा 6(1)का पालन किया जाता है न ही 6(3) का, बल्कि धारा 8जे का हवाला देकर हर बिन्दु की सूचना से बचने का घिनावना प्रयास किया जाता है

मज़े की बात यह है कि प्रथम अपीलीय अधिकारी भी अपनी महाभ्रषटतम शैली को अपनाते हुए, अधिनियम की धारा 19(1) का पालन न करते हुए कुछ भी निर्देश जनसूचना अधिकारी को देना उचित न समझते हुए , उन्हीं की गोद में जा बैठते हैं।
और इससे भी बड़ी और जटिल समस्या यह है कि धारा 19 के अन्तर्गत प्रस्तुत अपील ,समक्ष माननीय राज्य आयुक्त के द्वारा भी तारीख पर तारीख का खेल करते हुए जनसूचना के अधिकार को छीनने का पूरा प्रयास किया जाने लगा है, सबसे ज़्यादा खेदजनक बात यह है कि इस अधिनियम की खुलेआम उड़ती हुई धज्जियों को देखते हुए सरकार अपनी आंखें बंद क्यों की है ?

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ऐसा रवैया देश,प्रदेश और जन हित के लिए हानिकर है।
जनसूचना अधिकारियों, अपीलीय अधिकारियों, जनसूचना आयुक्तों के द्वारा अधिनियम की धाराओं का खुलेआम उल्लंघन करते रहना, सरकार का भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का सपना अधूरा रह जाएगा।

धनघटा तहसील क्षेत्र के नाथनगर ब्लाक अन्तर्गत झिंगुरा पार निवासी जनसूचना आवेदक इलियास अहमद ने बताया कि उनके द्वारा वर्ष 2016में ग्राम पंचायत झिंगुरापार में कराये गये विकास कार्यों के लिए आहरित रकम को हड़पने के लिए सूचना मांगी गई,।
सूचना शुल्क रूपये बारह हजार भी जमा कर दिए गए, लेकिन जनसूचना अधिकारी, अपीलीय अधिकारी और अब जनसूचना आयुक्त बार बार तारीख देकर इस अधिनियम के अधिकारों को कमजोर करने की साज़िश कर रहे हैं।

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इसी प्रकार का मामला अकरम खान,निसार खान, अब्दुल्लाह खान,शकील अहमद,जीत बहादुर मौर्य आदि ने भी बताया कि साल भर से अधिक हो गया है, तारीख पर तारीख आयोग में लग रही है, लेकिन न्याय की आस नहीं दिखाई पड़ रही है।
उक्त लोगों ने माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश का ध्यान आकृष्ट कराते हुए मांग की है कि इन महाभ्रष्ट और जनसूचना अधिकारियों को संरक्षण देने वाले आयुक्तों के विरूद्ध कठोरतम कानूनी कार्रवाई कर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले जनसूचना आवेदकों का सहयोग प्रदान करें।

अरशद अली की रिपोर्ट

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उपरोक्त लेखन लेखक के अपने निजी विचार है

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