निर्भया के गुनाहागारों को फांसी देने के लिए हालांकि अभी तक जैसा कि पवन जल्लाद का कहना है जेल प्रशासन की तरफ से कोई पत्र नही मिला है,लेकिन पवन जल्लाद निर्भया कांड के चारों दोषियों को अपने हाथों से फांसी देने के लिए आतुर है।
आज यहां न्यूजट्रैक से बातचीत में पवन जल्लाद ने कहा कि मुझे अभी तक जेल प्रशासन की तरफ से इस मामले में किसी तरह का ना तो कोई पत्र मिला है और ना ही जेल अफसरों ने मौखिक रुप से कुछ कहा है। फिर भी मैं इसके लिए पूरी तरह से तैयार हूं।
अगर जेल प्रशासन की तरफ मुझे बुलावा आता है तो मैं उन नरपिशाचों को फांसी देने के लिए तैयार हूं। बकौल पवन ,निर्भया के दोषियों को जितनी जल्दी हो फांसी पर चढ़ा देना चाहिए।
पवन जल्लाद को दिल्ली भेज दिया जाएगा: जेल अधीक्षक बीडी पांडेय
निर्भया कांड के चारों दोषियों को क्या अलग-अलग फांसी दी जाएगी। इस सवाल पर पवन जल्लाद ने कहा कि फांसी के लिए एक ही तख्ते का इस्तेमाल किया जाएगा,चाहे उस पर दो -दो को फांसी दी जाए या चार को। फांसी के लिए एक ही लिवर का इस्तेमाल होता।
निर्भया के गुनाहागारों को फांसी पवन जल्लाद देगा। इस सवाल पर मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह जिला कारागार के अधीक्षक बीडी पांडेय ने इतना कहा कि हमें फिलहाल हैंगमैन को भेजने की तारीख नही बताई गई है,लेकिन अलर्ट रहने और किसी भी वक्त बुलाने के लिए कहा गया है। इसलिए जैसे ही तिहाड़ से फोन या कोई पत्र आएगा।
वैसे ही पवन जल्लाद को दिल्ली भेज दिया जाएगा। मेरठ जेल के पास अधिकृत हैंगमैन 58 साल का पवन जल्लाद है। फांसी देने के लिए पवन जल्लाद ने अपनी सहमति भी जता दी है।
*चौथी पीढ़ी का जल्लाद है पवन*
यहां बता दें कि पवन जल्लाद मेरठ में हापुड़ रोड पर कांशीकाम आवासीय कॉलोनी में परिवार के साथ रहता है। वह चौथी पीढ़ी का जल्लाद है जो इस पुश्तैनी धंधे को संभाले हुए है।
पवन जल्लाद का कहना है कि वह अपने दादा कालू राम के साथ पांच बार फांसी देने गया है। बकौल पवन,-इस पेशे में वही मेरे गुरु थे। हमने दो लोगों को पटियाला में फांसी दी थी। एक को इलाहाबाद में फंदे से लटकाया था। एक को आगरा में फांसी दी थी और एक को जयपुर में फांसी पर लटकाने दादा के साथ गया था।’
पवन के दादा कालू राम ने 31 जनवरी 1982 को कुख्यात अपराधी रंगा और बिल्ला को फांसी दी थी। कालू राम ने इंदिरा गांधी के हत्यारों (सतवंत सिंह और केहर सिंह) को भी फांसी दी थी। सतवंत सिंह और बेअंत सिंह इंदिरा गांधी के सुरक्षाकर्मी थे, जिन्होंने 31 अक्टूबर 1984 को सरकारी आवास पर उन्हें गोली मार दी थी। इस षड्यंत्र में केहर सिंह भी शामिल था। बेअंत सिंह को उसी वक्त अन्य सुरक्षा कर्मियों ने मार गिराया था।
*पेशे से खास खुश नहीं है पवन*
पवन जल्लाद अपने इस पेशे से खास खुश नहीं है। बकौल पवन-,इस पेशे में होने कारण हमें दूसरी जगह काम भी आसानी से मिलता है। फिर हमें पहले प्रदेश सरकार की तरफ से मानदेय के रुप में 3000 रुपये मिलते थे जो कि अब जाकर काफी प्रयासों के बाद पांच हजार हुए हैं। इतने रुपयों से भला कोई कैसे अपना घर चला सकता है। पवन कहता है,-पचास-साठ साल से हमारा परिवार इतने बुरे दौर से गुजरा है कि कई बार तो खाने के लिए परिवार को रोटी के भी लाले पड़ जाते थे।
Represent By
Balram Gangwani