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उत्तर प्रदेशसंतकबीरनगर

मुस्लिम धर्म गुरुओं ने रमज़ान महीने की महत्ता पर डाला प्रकाश

रिपोर्ट-अरशद अलीधनघटा-सन्त कबीर नगर।
पवित्र माह रमज़ान की इस्लाम धर्म में बड़ी महत्ता प्राप्त है।
इस महीने को”गुनाहों को जलाने वाला” महीना कहा जाता है।
पवित्र माह रमज़ान में मुसलमान एक माह का रोज़ा रखते हैं।
लोग गरीबों में हर तरह की आर्थिक मदद,सदका आदि देते हैं।
रमज़ान के महीने में तीन अशरे होते हैं।
पहले दस दिनों को “रहमत का अशरा”ग्यारहवें रोज़े से बीस तक “मगफिरत काअशरा”21से 30तक”जहन्नम से नजात का अशरा”होता है।
आखिरी अशरे में मुसलमान मर्द मस्जिदों में और औरतें घरों “एतकाफ”अर्थात एकान्त रहकर ईश्वर की भक्ति में लीन रहती हैं।
जब तक कि ईद का चांद नज़र न आए जाए।
इस माह में मुसलमान अपनी इबादत को बढ़ा देते हैं।
क्योंकि इस्लाम धर्म के अनुयायियों के मुताबिक बाकी दिनों के इबादत से इस माह में की गई इबादत का बहुत अधिक पुण्य प्राप्त होता है।
इसी माह से ही इस्लाम धर्म का पवित्र ग्रन्थ”क़ुरान पाक” अवतरित होना शुरू हुआ था।
रमज़ान के महीने का मुख्य उद्देश्य गरीब, भूखे परिवारों की वास्तविक स्थिति और उनके द्वारा उठाये जाने वाले तकलीफ का एहसास दूसरे सामर्थ्यवान व्यक्ति को दिलाना है।
ताकि इन सामर्थ्यवान लोगों को गरीबी की हक़ीक़त का सही आकलन हो जाए।
और वे इन बेसहारा मजबूरों की मदद में आगे आयें।
इस माह में मुसलमान पवित्र धर्म ग्रंथ कुरान पाक का खूब पाठ करते हैं।
तरावीह पढ़ते हैं।
सुबह फज्र नमाज़ की अज़ान के बाद से सूर्यास्त तक पूरे दिन किसी प्रकार की कोई भी खाने पीने चीज प्रयोग करने की रमज़ान में इस्लाम धर्म के अनुसार पूर्णतया मनाही होती है।
रमज़ान महीने की पवित्रता और महत्ता पर रोशनी डालते हुए मौलाना मुस्तकीम क़ासमी ने कहा कि माह रमज़ान अरबी महीने का नौवां महीना होता है।
इस्लामी कैलेंडर के इस महीने को बड़ी महत्ता हासिल है।
इस महीने में जहन्नम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं।
मौलाना ने मुसलमानों को प्रेरित कर कहा कि पवित्र माह में हमें हर इबादत को बढ़ा देना चाहिए।
क्योंकि रमज़ान माह में एक फर्ज का सवाब सत्तर फर्ज के बराबर हासिल होता है।
मौलाना अजीजुल्लाह हलीमी ने कहा कि पवित्र माह रमज़ान की हम सबको कद्र करनी चाहिए।
रमज़ान के महीने में हर छोटे-बड़े गुनाह से बचने का पूरा प्रयास करना चाहिए।
किसी व्यक्ति की भी गीबत, चुगली हरगिज़ नहीं करनी चाहिए।
अपने आचरण को सुधारते हुए पुण्य के कामों में अपना समय ज्यादा खपाना चाहिए।
मौलाना हस्सान क़ासमी इमाम जामा मस्जिद महुली ने माह रमज़ान की महत्ता पर रोशनी डालते हुए मुसलमानों से अपील किए कि कोरोना महामारी के दृष्टिगत सभी मुसलमान अपने घरों में ही इबादत करें।
और सच्चे दिल से हम सभी इस पवित्र माह रमज़ान में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से निजात के लिए मुल्क और मुल्क के लोगों के लिए दुआ करें।
उन्होंने कहा कि रमजान माह में भी हम सभी को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपनी इबादत करनी है।
ईश्वर से अपने गुनाहों पर शर्मिन्दगी का इज़हार कर माफ़ी मांगनी चाहिए।
रमज़ान का महीना बहुत ही बरकत वाला महीना होता है।
इसलिए इस महीने की बरकत और रहमत का हम सभी सहृदय स्वागत और सम्मान करें।
मुस्लिम धर्म गुरुओं ने कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के कारण सोशल डिस्टेंसिग का पालन करने के लिए मुसलमानों से अपील किए कि लोग अपने अपने घरों में ही रमज़ान के मुबारक माह में ईश्वर की इबादत करें।

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