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पॉलिमर्स प्लान्ट में ज़हरीली गैस रिसाव से मरने वालों की संख्या बढ़कर हुई 13

विशाखापट्टनम। आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम में एलजी पॉलिमर्स प्लांट से गुरुवार को केमिकल गैस का रिसाव होने के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है।

मौक़े पर सभी आपातकालीन सेवाएं पहुंच गई हैं और तीन सौ से अधिक लोगों को हाॅस्पिटल में एडमिट किया गया है। पुलिस का कहना है कि, ‘निकटवर्ती इलाक़ों में रहने वाले सैकड़ों लोगों को वहां से निकालकर सुरक्षित स्थानों पहुंचा दिया गया है।’

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गुरुवार की तड़के प्लांट से जिस वक्त स्टाइरीन गैस लीक हुई, उस समय निकटवर्ती के गाँव के लोग सो रहे थे।ग्रेटर विशाखापट्टनम म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के कमिश्नर श्रीजाना गुमाला ने ट्विटर पर लिखा है कि, ‘सैकड़ों लोगों के भीतर सांस के माध्यम से यह गैस चली गई है। इससे लोग या तो बेहोशी की हालत में हैं अथवा उन्हें सांस लेने में प्राॅब्लम हो रही है।’

विशाखापट्टनम पुलिस की असिस्टेंट कमिश्नर स्वरूपा रानी ने घटना के शुरुआती घंटों में ही बता दिया था कि, ‘कम से कम नौ लोगों की मौत हुई है और 300 से 400 लोगों को हाॅस्पिटल्स में एडमिट किया गया है।’ स्वरूपा रानी ने कहा था कि, ‘निकटवर्ती इलाक़ों से डेढ़ हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।’ म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन का कहना है कि, ‘प्लांट के पास लगभग तीन किलोमीटर का इलाक़ा जोखिमों से भरा है।’

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विशाखापट्टनम के पुलिस कमिश्नर आरके मीना ने बताया है कि, ‘तीन लोगों की मौत प्लांट के पास हुई और पाँच की मौत किंग जॉर्ज हाॅस्पिटल में इलाज के दौरान हुई। अब तक गैस लीक शुरू होने की वजह पता नहीं चली है। प्लांट के प्रबंधन के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है।

पुलिस ने आसपास के पाँच गाँवों को ख़ाली करा दिया है और उन्हें मेघाद्री गेड्डा और दूसरे सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। र्कइ व्यक्तियों ने आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ़ होने की शिकायत की है। ख़ासकर बुज़ुर्गों और छोटे बच्चों को सांस लेने में परेशानी हो रही है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर ट्वीट किया है कि, ‘एमएचए और एनडीएमए के अधिकारियों से बात हुई है, जो इस दुर्घटना पर नज़र बनाए हुए हैं। मैं विशाखापट्टनम में सभी के सुरक्षित रहने और उनकी बेहतरी की कामना करता हूँ।’

यह केमिकल प्लांट एलजी पॉलिमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का है। 1961 में बना यह प्लांट हिंदुस्तान पॉलिमर्स का था, जिसका 1997 में दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी ने अधिग्रहण कर लिया था।’

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आंध्र प्रदेश के उद्योग मंत्री गौतम रेड़्डी ने बताया कि, ‘यह हादसा सुबह साढ़े तीन बजे हुआ।’ उन्होंने कहा कि, ‘फैक्ट्री लॉकडाउन के बाद खोली गई थी। कामगार फैक्ट्री खोलने की तैयारी कर रहे थे, जब यह हादसा हुआ। वाक़ई में क्या हुआ था, हम यह समझने की कोशिश में लगे हुए हैं। पहली नज़र में तो यह लग रहा है कि कंपनी के मैनेजमेंट ने नियमों का पालन नहीं किया है।’

उन्होंने कहा कि, ‘सरकार ने लॉकडाउन के बाद फैक्ट्रियों ख़ासकर हानिकारक उत्पादों वालों को खोलने को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हुए हैं। यदि कंपनी इन दिशा निर्देशों का पालन नहीं करने की दोषी पाई जाती है, तो उसके ख़िलाफ़ सख्त क़दम उठाए जाएंगे।’

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उन्होंने कहा कि, ‘अब तक 90-95 प्रतिशत रिसाव को नियंत्रित कर लिया गया है। अगले एक घंटे में इस पर पूरी तरह से काबू पा लिया जाएगा। गैस का रिसाव एक किलोमीटर तक हुआ है। जब यह दुर्घटना हुई थी, तब उस वक़्त फैक्ट्री के अंदर कर्मचारी मौजूद थे। उनसे जुड़ी कोई जानकारी अभी हमें नहीं मिली है। हम इन बातों को जानने का प्रयास कर रहे हैं कि जिन लोगों ने सांस के साथ गैस अंदर ले लिया है, उसका लंबे वक़्त के बाद क्या असर पड़ने वाला है।’

 

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