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UPSC जिहाद मामला :: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा सुदर्शन टीवी को कारण बताओ नोटिस जारी , जवाब नहीं मिला तो एक पक्षीय होगा निर्णय-: सॉलिसिटर जनरल

नई दिल्ली: सुदर्शन टीवी (Sudarshan TV) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बुधवार को सुनवाई हुई. केंद्र ने सुदर्शन टीवी को उसके शो ‘बिंदास बोल’ में ‘UPSC जिहाद’ के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि केंद्र ने सुदर्शन न्यूज टीवी को आज 4 पेज का नोटिस जारी किया है. इसमें कहा गया है कि टीवी को प्रोग्राम कोड के उल्लंघन के बारे में 28 सितंबर को शाम 5 बजे से पहले एक लिखित सबमिशन देने की आवश्यकता है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए. अगर नोटिस का जवाब नहीं दिया जाता है, तो एक प़क्षीय निर्णय लिया जाएगा. केंद्र के अनुसार पहली नजर में चैनल का शो प्रोग्राम कोड के अनुसार नहीं है.
तुषार मेहता ने कहा कि 28 सितंबर तक सुनवाई स्थगित होनी चाहिए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर मामले की सुनवाई नहीं होती तो अब तक यह शो पूरी तरह से प्रसारित हो चुका होता. हमें इसके बारे में सोचना चाहिए. एसजी तुषार मेहता ने कहा कि मुझे लगता है कि अदालत का हस्तक्षेप अंतिम उपाय होना चाहिए.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पांच अक्टूबर तक टाल दी. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार बाकी शो के प्रसारण पर रोक जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह सुदर्शन न्यूज को दिए गए नोटिस पर कानून के मुताबिक कार्रवाई करे. इसके बाद इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे. पांच अक्टूबर को दो बजे अगली सुनवाई होगी.

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इससे पहले सोमवार को सुदर्शन न्‍यूज (Sudarshan News) के शो ‘बिंदास बोल’ से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पूछा था है कि क्‍या कानून के अनुसार सरकार इसमें हस्‍तक्षेप कर सकती है. जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा था कि आज कोई ऐसा कार्यक्रम है जो आपत्तिजनक नहीं है? कानून के अनुसार सरकार इसमें हस्तक्षेप कर सकती है? रोजाना लोगों की आलोचना होती है, निंदा होती है और लोगों की छवि खराब की जाती है? उन्‍होंने सॉलिसिटर जनरल से पूछा क्या केंद्र सरकार ने चार एपिसोड के प्रसारण की अनुमति देने के बाद कार्यक्रम पर नजर रखी? इंग्लैंड में, पूर्व-प्रसारण योजना का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन भारत में हमारे पास अन्य क्षेत्राधिकार हैं. हमारे पास पूर्व-प्रकाशन प्रतिबंध के लिए शक्ति है यदि सरकार इसे लागू नहीं करती है.

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन न्यूज के हलफनामे पर आपत्ति जताई . मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने की. जस्टिस चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि हमने आपसे कभी नहीं पूछा कि आप NDTV के बारे में क्या सोचते हैं. आप सिर्फ अपने मुंह से कुछ भी नहीं बोल सकते. हमने सवालों के जवाब के साथ आने को कहा था. कोई बिंदु नहीं है कि आप शिकायत करें कि 2008 में क्या हुआ था? आपने कहा है कि वह भारत में चैनलों का सबसे बड़ा निकाय है, और उसके पास देश भर के सभी क्षेत्रीय चैनल हैं. पूर्व CJI न्यायमूर्ति जेएस खेहर इस संस्था के प्रमुख होंगे. एनबीए सबसे बड़ा निकाय नहीं है और सभी का प्रतिनिधित्व नहीं करता है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुदर्शन न्यूज से पूछा कि क्या आपको लगता है कि पहले 4 एपिसोड टेलीकास्ट हुए उनमें आपने प्रोग्राम कोड का पालन किया, क्या आप पहले के एपिसोड की तरह ही शेष एपिसोड जारी रखने का इरादा रखते हैं? उन्‍होंने पूछा, कार्यक्रम में किस पर हमला किया जा रहा है.मुस्लिम समुदाय पर या ज़कात फाउंडेशन पर. उन्‍होंने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि इसे कौन देखता है लेकिन एक संस्था के रूप में सुप्रीम कोर्ट केवल मुसलमानों पर हमले के बारे में चिंतित है न कि ज़कात फाउंडेशन पर.’

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