पूर्व उपमुख्यमंत्री और एनडीए के उम्मीदवार सुशील कुमार मोदी राज्यसभा सदस्य के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए। सोमवार को विधानसभा लाइब्रेरी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजदूगी में उन्हें निर्वाची पदाधिकारी सह पटना के प्रमंडलीय आयुक्त संजय अग्रवाल ने प्रमाण-पत्र सौंपा। इसके बाद मुख्यमंत्री ने उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी।
इसके साथ ही सुशील मोदी बिहार के तीसरे ऐसे नेता हो गये हैं, जो चारों सदनों, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य हुए हैं। इसके पहले लालू प्रसाद और नागमणि चारों सदनों से सदस्य हुए थे।
सुशील मोदी वर्ष 1990 में सक्रिय राजनीति में शामिल होने के बाद पटना केंद्रीय (अब कुम्हरार) विधान सभा से चुनाव जीते। 1996 से 2004 तक आठ साल तक बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। साल 2000 में सात दिनों की नीतीश सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बने। 2004 में भागलपुर से लोकसभा के सांसद बने। झारखंड गठन के प्रबल समर्थक सुशील मोदी 2005 में बिहार में एनडीए के शासन में आने पर लोकसभा से इस्तीफा देकर बिहार के उपमुख्यमंत्री बने।
जून 2013 में भाजपा के नीतीश सरकार से अलग होने तक वे उपमुख्यमंत्री रहे। सरकार से हटने पर बिहार विधान परिषद में विरोधी दल के नेता बने। साथ ही बिहार विधानमंडल में विरोधी दल के भी नेता बने। जेपी आंदोलन में सुशील मोदी सक्रिय रहे हैं। सन् 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर एमएससी की पढ़ाई छोड़ दी और 19 महीने तक जेल में रहे। इससे पहले 1968 में आरएसएस का उच्चतम प्रशक्षिण यानी अधिकारी प्रशक्षिण कोर्स ज्वाइन किया। मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद आरएसएस के विस्तारक के रूप में भी काम किया।
बधाई देने वालों का लगा तांता
प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के बाद श्री मोदी को बधाई देने वालों का तांता विधानसभा परिसर में लगा रहा। बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता उन्हें बधाई देने के लिए गुलदस्ता लेकर पहुंचे थे। उनके समर्थन में नारे भी लगे। इस अवसर पर मुख्य रूप से उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री रेणु देवी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल सहित बिहार सरकार के मंत्रीगण, विधायकगण, विधान पार्षद्गण एवं अन्य जनप्रतिनिधिगण ने उन्हें बदाई दी।