नई दिल्ली
नए कृषि कानूनों को लेकर बनी सुप्रीम कोर्ट की समिति में से एक सदस्य, भूपिंदर सिंह मान ने खुद को अलग कर लिया है। मान भारतीय किसान यूनियन (BKU) के अध्यक्ष हैं और वे इन तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते रहे हैं। हालांकि अब उन्होंने अपनी चिट्ठी में कहा है कि वे ‘पंजाब और किसानों के हितों के साथ समझौता न करने के लिए किसी भी पद का त्याग करने को तैयार हैं।’ उन्होंने पत्र में ‘किसान यूनियनों और जनता के बीच की भावनाओं और शंकाओं’ का भी हवाला दिया है।
मान ने लिखा है, “एक किसान और एक यूनियन नेता के तौर पर, किसान यूनियनों और जनता के बीच फैली शंकाओं को ध्यान में रखते हुए, मैं किसी भी पद का त्याग करने को तैयार हूं ताकि पंजाब और देश के किसानों के हितों के साथ समझौता न हो सके। मैं समिति से खुद को अलग कर रहा हूं और मैं हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा।”
Bhupinder Mann, a member of the SC-formed committee over #FarmLaws, recuses himself from it.
"In view of prevailing sentiments & apprehensions amongst farm unions & public, I'm ready to sacrifice any position so as not to compromise Punjab & farmers' interests," his letter reads
Advertisement— ANI (@ANI) January 14, 2021
कमिटी में और कौन-कौन है?
मान के खुद को अलग करने के बाद समिति में अब तीन सदस्य बचे हैं। इनमें अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के डॉ प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री तथा कृषि लागत और मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत शामिल हैं।
पिछले महीने मान ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक खत लिखकर कुछ मांगें सामने रखी थीं। उन्होंने लिखा था, ‘हम उन कानूनों के पक्ष में सरकार का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं। हम जानते हैं कि उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों में एवं विशेषकर दिल्ली में जारी किसान आंदोलन में शामिल कुछ तत्व इन कृषि कानूनों के बारे में किसानों में गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।’
अपनी चिट्ठी में मान ने लिखा था, “हमारे अथक प्रयासों व लंबे संघर्षों के परिणाम स्वरूप जो आजादी की सुबह किसानों के जीवन में क्षितिज पर दिखाई दे रही हे आज उसी सुबह को फिर से अंधेरी रात में बदल देने के लिए कुछ तत्व आगे आकर किसानों में गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।… हम मीडिया से भी मिलकर इस बात को स्पष्ट करना चाहते हैं कि देश के अलग-अलग हिस्सों के किसान सरकार द्वारा पारित तीनों कानूनों के के पक्ष में हैं। हम पुरानी मंडी प्रणाली से क्षुब्ध व पीड़ित रहे हैं हम नहीं चाहते कि किसी भी सूरते हाल में शोषण की वही व्यवस्था किसानों पर लादी जाएं।”