AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि भारत के इतिहास में चार ऐसी बड़ी घटनाएं हुईं जिनसे देश कमजोर हुआ। उनका कहना है कि महात्मा गांधी का कत्ल, बाबरी की शहादत, गुजरात के दंगे और सिखों का कत्लेआम शर्मनाक घटनाएं हैं। इनसे देश की मर्यादा को ठेस पहुंची। उन्होंने कहना था कि बाबरी मस्जिद की सुरक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी थी।
आप की अदालत में ओवैसी ने कहा कि बाबरी विध्वंस का काम तत्कालीन पीएम नरसिम्हा राव ने कराया था। इसी वजह से हमने उन्हें भारत रत्न देने का विरोध किया था। राव ने ही लोगों को नंगानाच करने की इजाजत दी थी। उन्होंने 1971 की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि तब राव आंध्र प्रदेश के सीएम थे और उन्होंने कहा था कि जो रेडियो पाकिस्तान सुनेगा वो उसके कान में शीशा पिघलाकर डाल देंगे। उनका कहना था कि ये सरासर गलत है। नरसिम्हा राव ने ही टाडा के नाम पर हजारों युवकों को जेल में डाल दिया।
दरअसल ऐंकर ने उनके सामने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि देश के चुने हुए पीएम के लिए वह गलत भाषा न बोलें। ओवैसी ने ऐंकर पर पलटवार करते हुए कहा कि राव के लिए उन्होंने जो भाषा बोली है वो बिलकुल ठीक है। उन्होंने जो काम किया उसके लिए वह हमेशा उनकी निंदा करते रहेंगे। ओवैसी का कहना था कि मुंबई में दंगे हुए और श्रीकृष्णा कमीशन की रिपोर्ट को राव ने ही दबाया।
अपने भाई अकबरुद्दीन की हेट स्पीच के मामले में उनका कहना था कि हम कानून का सम्मान करते हैं और कोर्ट जो फैसला देगा उसकी पालना की जाएगी। उनका कहना था कि अकबरुद्दीन इस मामले में दो माह की जेल भी काट चुका है, लेकिन क्या विहिप के प्रवीड़ तोगड़िया, बीजेपी के योगी आदित्यनाथ और साक्षी महाराज के खिलाफ हेट स्पीच देने पर कोई कार्रवाई हुई।
एक दर्शक ने उनसे सवाल किया कि अकबरुद्दीन ने ऐसा क्यों कहा था कि 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दो फिर आपको हकीकत का पता चल जाएगा। उनका सवाल था कि आपने इसके लिए क्या अपने भाई को कोई हिदायत जारी की थी। ओवैसी का कहना था मामला कोर्ट में है और जो फैसला होगा माना जाएगा। उनका कहना था कि वह कानून में पूरी आस्था रखते हैं। उन्हें यकीन है कि अदालत न्याय करेगी।