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सात साल में एलपीजी की कीमत दोगुनी,अब और महंगे हो सकते हैं पेट्रोल-डीजल

नई दिल्ली। महंगे पेट्रोल-डीजल से राहत देने के लिए सरकार कब कदम उठाएगी, यह तय नहीं है, लेकिन यह तस्वीर जरूर बन रही है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार का रुख आम जनता को और मुसीबत में डाल सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को छू रही है। पिछले सात साल में घरेलू रसोई गैस यानी एलपीजी सिलेंडर की कीमत दोगुनी होकर 819 रुपये पर पहुंच गई है। इसी दौरान दरों में वृद्धि से पेट्रोल-डीजल से कर संग्रह 459 फीसद से ज्यादा बढ़ गया है।

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने लोकसभा में लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। वहीं डॉलर के मुकाबले रुपया भी सोमवार को 23 पैसे कमजोर होकर 73.25 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया। महंगे क्रूड और कमजोर रुपये के कारण तेल कंपनियों की तरफ से घरेलू बाजार में पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि का नया दौर शुरू हो सकता है। फिलहाल पिछले नौ दिन से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि नहीं हुई है।

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सउदी अरब के तेल ठिकानों पर ड्रोन हमले का असर क्रूड बाजार पर दिखा और क्रूड की कीमतें 70 डॉलर के करीब पहुंच गई। फरवरी, 2020 में दुनिया में कोरोना का असर शुरू होने के बाद से पहली बार क्रूड इस स्तर पर पहुंचा है। अंतरराष्ट्रीय रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ सऊदी अरब के तेल ठिकाने पर हमले की वजह से ही क्रूड महंगा नहीं हुआ है, बल्कि वैश्विक स्तर पर मांग भी बढ़ रही है। गोल्डमैन सैक्श की रिपोर्ट में क्रूड जल्द ही 80 डॉलर प्रति बैरल पर जाने का अनुमान जताया गया है। क्रूड खपत में दुनिया के दो सबसे बड़े देश भारत और चीन की इकोनॉमी की स्थिति लगातार सुधर रही है, जिससे इन देशों में खपत और बढ़ती दिख रही है।

अन्य एशियाई देशों से भी मांग बढ़ने के आसार हैं। उल्लेखनीय है कि अप्रैल, 2020 में एक समय क्रूड की कीमत घटकर 21 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गई थी। तत्काल केंद्र सरकार ने पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क में भारी वृद्धि कर दी थी। इसके अलावा राज्यों की तरफ से भी वैट की दरें बढ़ा दी गई थीं। उस समय की तुलना में क्रूड साढ़े तीन गुना हो चुका है। तेल कंपनियां लगातार पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की कीमतें बढ़ा रही हैं। देश के कई हिस्से में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के ऊपर चला गया है। मोटे तौर पर अभी पेट्रोल की खुदरा कीमत का 60 फीसद हिस्सा केंद्र और राज्यों के खजाने में जाता है, जबकि डीजल की कीमत में विभिन्न तरह के करों का हिस्सा 56 फीसद है।

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सात साल में एलपीजी की कीमत दोगुनी

पहली मार्च, 2014 को 14.2 किलो वाले सिलेंडर की कीमत 410.50 रुपये थी, जो इस महीने 819 रुपये पर पहुंच गई है। प्रधान ने बताया कि 2013 में पेट्रोल-डीजल से 52,537 करोड़ रुपये का संग्रह हुआ था। 2019-20 में यह 2.13 लाख करोड़ रहा। चालू वित्त वर्ष के 11 महीने में 2.94 लाख करोड़ रुपये का कर संग्रह हुआ है।

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