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जातीय जनगणना पर बीजेपी की चुप्पी- विरोधियों को मिला घेरने का मौक़ा

नई दिल्ली । जातीय जनगणना पर बीजेपी की चुप्पी पर जहां विपक्षी दलों को उन्हें घेरने का अवसर मिल गया है. तो वहीं उनके सहयोगी दल भी जातीय जनगणना कराने के मामले में उनके साथ खड़े नजर नहीं आ रहे हैं. निषाद पार्टी भी ये चाहती हैं कि जातीय जनगणना हो. निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय निषाद ने कहा कि उनकी पार्टी का उद्देश्य और मुद्दा ही जनगणना का है.

जनगणना होनी चाहिए
निषाद पार्टी (निर्बल शोषित हमारा आम दल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय निषाद ने कहा कि 1961 में राष्ट्रपति ने ये लिखकर दे रखा है कि अनुसूचित जाति की एक सूची बना रखी है, जिसमें 53 नंबर पर मझवार हैं. अनुसूचित जाति की सारी उप जातियों की जनगणना होती है, तो मझवार की पर्यायवाची जाति केवट-मल्लाह की जनगणना होनी चाहिए. 1961 में वे 70 लाख थे. आज हमें घटाकर 3 हजार कर दिया. ऐसी जनगणना नहीं होनी चाहिए, जो मार रही हो. राष्ट्रपति ने जो मैनुअल दिया है, उसके हिसाब से जनगणना होनी चाहिए.

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गिनती के पक्ष में हूं
डॉ संजय निषाद ने कहा कि केवल अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक की जनगणना नहीं होनी चाहिए. बल्कि हर एक जाति के सभी लोग वोट डालते हैं. सभी लोग भारत के नागरिक हैं. चाहे वो ऊंची जाति का हो, चाहे पिछड़ी जाति का हो, उसकी जनगणना होनी चाहिए. उसकी गिनती होनी चाहिए. जब जानवर की गिनती हो रही है, तो आदमी की गिनती क्यों नहीं होगी. गिनती नहीं होगी, तो उनके हिस्से कैसे दिए जाएंगे. यही सामाजिक न्याय समिति कहती है कि हाथी और साइकिल वाले सबका हिस्सा खा रहे हैं. बीजेपी क्यों हिस्सा खिलाएगी. गिनती कराएं. मैं तो गिनती के पक्ष में हूं.

हमें लटकाकर ना रखें
डॉ संजय निषाद ने कहा कि 31 दिसंबर 2016 को उन्हें यूपी में पब्लिक सर्विस कमीशन आरक्षण नियमावती 1994 धारा 13 की शक्ति का प्रयोग करते हुए हमें पिछड़ी जाति से राज्यपाल ने निकाल दिया है. उसमें कश्यप, कहार, धीवर, रैकवार बाथम, केवट, मल्लाह, बिंद, राजभर और प्रजापति इन सभी को निकाल दिया है. जब राज्यपाल ने हमें निकाल दिया है और कह दिया है कि हम अनुसूचित जाति में है, तो राज्यपाल के नोटिफिकेशन के हिसाब से हमारी गिनती पिछड़ी में कैसे कर देंगे. क्रमिक मंत्रालय से अधिसूचना जारी है. आज के दिन में हमें अनुसूचित मिल नहीं रहा है. वे कहते हैं कि सरकार से चाहते हैं कि हमें लटकाकर ना रखें. क्योंकि कांग्रेस ने लटकाया, तो कांग्रेस लटक गई. सपा-बसपा ने लटकाया, तो वो लटक गई.

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अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट मिलना चाहिए
वर्तमान सरकार में जो अधिकारी बेईमान हैं, ऊपर से कमल और अंदर से हाथी और साइकिल हैं. ऐसे अधिकारियों के बहकावे में ना आएं. हमें पिछड़ी जाति से निकाल दिया, अनुसूचित मिल नहीं रहा है. तो ये 18 प्रतिशत आबादी जो 160-170 विधानसभा में हम हर एक-एक लाख वोट हैं. ऐसे में जो अनुसूचित जाति की जो सूची बनी है उसका सर्टिफिकेट देने का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आदेश कर दें. उत्तराखंड सरकार ने सर्टिफिकेट दिया है. हम टाइटल कोई भी लिखे हमें अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट मिलना चाहिए.

जनगणना कराई जाए और सबको खुश रखा जाए
वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देंगे कि जब वे पेशे से डॉक्टर थे और योगी आदित्यनाथ सांसद थे, तो हमारी आवाज को उठाते रहे हैं. जो सरकार उनकी आवाज उठाती रही है, उन्हें उम्मीद है कि कागज दुरुस्त करके जनगणना 2021 में हमारे समाज की कराएगी. हर एक जातियों का जनगणना होकर उनके सामाजिक और आर्थिक स्थिति को दुरुस्त किया जाए. क्योंकि बीजेपी कहती भी है कि सबका साथ और सबका विकास. मैं उनके साथ इसीलिए आया हूं, कि ऐतिहासिक काम हो रहा है. धारा 370 खत्म हो गया. मंदिर नहीं बन रहा था 70 साल से, लेकिन निषाद पार्टी आई बिना खून-खराबे के मंदिर बन रहा है. उन्हें उम्मीद है कि निषाद पार्टी साथ है तो ये तो जनगणना भी आसानी से हो जाएगी. उन्होंने कहा कि वे सरकार से मांग करेंगे कि जनगणना कराई जाए और सबको खुश रखा जाए.

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लोकतंत्र में सबको अधिकार है
डॉ संजय निषाद ने कहा कि 70 साल से निषाद समाज को गुमराह किया जा रहा है. कैश से नहीं कैडर से देश चलता है. कैडर का मतलब शिक्षित-प्रशिक्षित लोग हों जिन्हें सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक जानकारी हो. ऐसी स्थिति में निषाद पार्टी कैडर बेस संगठन है. इसमें सभी उप जातियों का समावेश है. सभी मिलकर जय निषादराज का एक नारा बुलंद करते हैं. हमारे समाज के लोगों का मानना है कि निषाद पार्टी न्याय के लिए लड़ती है. हमने रमादेवी पार्क में 10 लाख लोगों को एकत्र किया है. जो 11 लाख लोगों को खड़ा कर दे. वो माना जाएगा कि निषादों का नेता है. लोकतंत्र में सबको अधिकार है.

सभी को निषाद याद आ रहे हैं
इस देश में 3 हजार पार्टी हैं. ये समाज अब गुमराह होने वाला नहीं है. जब इलेक्शन आता है, तो ऐसे तमाम आते हैं. 2017 में 333 पार्टी चुनाव लड़ी, लेकिन सिर्फ निषाद पार्टी का पता चला. बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा के बाद निषाद पार्टी 5वें नंबर की पार्टी बनकर सामने आ गई. डॉ संजय आज मोदी-योगी से निषाद समाज की वकालत करने लायक हैं. 18 प्रतिशत वोट को उन्होंने जगा दिया है, तो आज सभी को निषाद याद आ रहे हैं.

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दलालों नहीं वफादार से काम चलता है
डॉ संजय निषाद ने कहा कि हमारे यहां दलालों नहीं वफादार से काम चलता है. हमारा समाज 70 फीट नीचे था डॉक्टर संजय निषाद ने उसे 70 फीट ऊपर कर दिया, उनके मुद्दे भी सबके गले की हड्डी बन गई है. आरक्षण हमारा कोई बड़ा मामला नहीं है अभी 7 महीने बचे हैं और हमारा मुकदमा वापस करना बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है इसका बीजेपी को फायदा मिलेगा. बीजेपी के साथ रहेंगे, हमारे समाज में निर्णय लिया है. 2017 में हमने पार्टी बनाई. 2018 में एक विधायक दे दिया. 2019 में हम लोग मोदी जी के साथ आ गए.

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