गाइडलाइन के मुताबिक आइसोलेशन के इन 7 दिनों की शुरुआत कोरोना की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के दिन से मानी जाएगी। आइसोलेशन के दौरान अगर मरीज को लगातार 3 दिनों तक बुखार नहीं आए तो उसे आठवें दिन से कोरोना निगेटिव माना जाएगा। इसके लिए कोरोना की जांच भी जरूरी नहीं होगी।
दरअसल, देश में लगातार ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमितों की तादाद बढ़ती जा रही है। गुरुवार को रोज मिलने वाले कोरोना मरीजों की संख्या का आंकड़ा एक लाख को पार कर गया। एक अनुमान के मुताबिक इनमें से करीब 60% मरीज ओमिक्रॉन वैरिएंट के हैं। ओमिक्रॉन के ज्यादातर मरीजों में गंभीर लक्षण नहीं हैं, लेकिन यह डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले 30 गुना तक तेजी से फैलता है।
किन्हें एसिम्पटोमेटिक मरीज माना जाएगा?
एसिम्पटोमेटिक मरीज ऐसे लोग को माना जाएगा जिनकी रिपोर्ट तो कोरोना पॉजिटिव आए, लेकिन उनमें कोरोना का कोई लक्षण न हों। वहीं, कमरे की सामान्य हवा में ऑक्सीजन सैचुरेशन 93% से अधिक हो। इससे पहले ऑक्सीजन सैचुरेशन का यह पैमाना 94% था।
हल्के लक्षण वाले मरीज कौन होंगे?
ऐसे मरीजों को हल्के लक्षण वाला माना जाएगा जिनमें बुखार के साथ या बुखार के बिना ऊपरी श्वसन तंत्र, यानी अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से जुड़े लक्षण हों, लेकिन उन्हें सांस लेने में कोई दिक्कत न हो। इसके अलावा उनका ऑक्सीजन सैचुरेशन 93% से ज्यादा हो।
कैसे मरीज होम आइसोलेट किए जाएंगे?
- अगर डॉक्टर लिखित तौर पर कह दें कि मरीज एसिम्पटोमेटिक है या फिर इसमें हल्के लक्षण हैं तो ऐसे मरीजों को होम आइसोलेट किया जाएगा।
- ऐसे लोगों को होम आइसोलेट किया जाएगा जिनके घर पर मरीज के साथ-साथ उनके संपर्क में आए परिवार को भी क्वारैंटाइन करने की व्यवस्था हो।
- मरीज की देखभाल के लिए एक व्यक्ति 24 घंटे रहना चाहिए। देखभाल करने वाला और डॉक्टर एक-दूसरे के संपर्क में तब तक रहेंगे, जब तक मरीज का आइसोलेशन खत्म नहीं हो जाता।
- एक कंट्रोल रूम का नंबर परिवार के पास रहेगा और समय-समय पर आइसोलेटेड मरीज को गाइड किया जाएगा।