सामाजिक, राजनैतिक और तकनीकी के परिवर्तन ने सभी क्षेत्रो की तरह मीडिया में डिजिटल स्वरुप में बड़ा बदलाव ला दिया है, जिसका स्वरुप अभी अपना अंतिम रूप नहीं ले पाया है अभी भी कई बड़े विवाद सामने आते रहतें है | आज भी आधिकारिक रूप से सोशल मीडिया पत्रकारों की प्रमाणिक पहचान नहीं है | जबकि इनकी जन स्वीकार्यता हर जगह हर क्षेत्र में विद्यमान है | पत्रकारिता के क्षेत्र में चल रहे नियम कानूनों में जरूरत है एक बड़े बदलाव की | सभी संस्थाओं और मान्यता देने वाली एजेंसियों को डिजिटल पत्रकारिता को स्वीकार करने की जरूरत है तथा सभी तरह के पत्रकारों के हितों को सुरक्षित करने के लिए स्पष्ट नियम और कानून बनाने की भी है | जिससे सभी श्रेणी के पत्रकार बिना किसी बाध्यता के जिम्मेदारों की जबावदेही पर प्रश्न पूछ सकें |
इन पत्रकारों को क्षेत्रीय समस्याओं की गहरी जानकारी होती है और हो रहे कार्यों और आवश्यकताओं का भी बड़ा ज्ञान होता है ऐसे में ये सरकार और जिम्मेदार से प्रश्न करके सच्चाई को सामने ला सकतें है और आम आदमी के हितों को सुरक्षित कर सकतें है | आज के वर्तमान राजनैतिक परिवेश में पक्ष या विपक्ष कोई भी सटीक और किये गए वादों पर प्रश्न नहीं सुनना चाहता | आज के दो दशक पहले राजनेता न केवल प्रश्नों का जबाब देते थे बल्कि आलोचनाओं से घबरातें नहीं थे पर अब न प्रश्नों का स्थान रहा न आलोचनाओं का,ऐसे में यह जरुरी है की सभी तरह की पत्रकारिता को लेकर न केवल स्पष्ट नियम और कानून बनाये जाए बल्कि हर स्तर पर उन्हें लागू किया जाए | यदि सरकार ऐसा करने में सफल होती है पत्रकारों के खिलाफ अन्याय स्वतः बंद हो जायेगा |