आलेख- मोहम्मद सईद पठान
अखिलेश यादव ने हजारों की भीड़ में पवन छापड़िया को ख़लीलाबाद नगर पालिका से अध्यक्ष पद चुनाव लड़ने से मना किया था, और सपा जगत जायसवाल को अध्यक्ष पद के लिए भारी मतों जिताने की जनता से अपील की थी। हालांकि, फिर भी, पवन छापड़िया साइकिल चुनाव निशान से अपने अध्यक्ष पद के प्रचार में जुटे हुए हैं।
यह एक चुनावी मुद्दा हो सकता है, जो समाजवादी पार्टी (सपा) के अंदर विभाजन के संकेत के रूप में दर्शाता है। इस समय, जगत जायसवाल को बहुमत से अध्यक्ष बनाया गया है, लेकिन पवन छापड़िया भी अपने दावे के साथ जमीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस मामले में, सपा के नेता अखिलेश यादव की स्थिति अभी तक जानकारी के बारे में स्पष्ट नहीं है। हालांकि, यह देखने के लिए देखा जा सकता है कि उन्होंने पवन छापड़िया के चुनाव लड़ने को बहुत ही खतरनाक माना था। इसलिए, यह समझना मुश्किल हो सकता है कि अखिलेश यादव अब इस मुद्दे पर क्या बोलेंगे।
इस मामले में, अखिलेश यादव द्वारा जगत जायसवाल को सपा के अध्यक्ष पद के लिए जनता से अपील की गई थी। यह दिखाता है कि उन्हें अपने पार्टी की एकता और संगठन को बचाने के लिए काम करने की जरूरत महसूस होती है।
इस मामले में, पवन छापड़िया साइकिल चुनाव निशान के बारे में प्रचार कर रहे हैं और सपा के अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारी ले रहे हैं। हालांकि, उन्हें यह जानने की जरूरत होगी कि क्या उन्हें इस मुद्दे को लेकर अपने पार्टी के अंतर्निर्णय का समर्थन मिलेगा या नहीं। इस मामले में, यह स्पष्ट होता है कि सपा के अंदर विभाजन के संकेत हो सकते हैं और यह चुनावी मुद्दे के रूप में उभर सकता है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सपा के उम्मीदवार का नाम जगत जायसवाल बताया था। अखिलेश यादव ने पवन छापड़िया को चुनाव न लड़ने की सलाह दी थी और इसे सापेक्ष निष्पक्षता का नाम देते हुए कहा है कि जगत जायसवाल सपा के अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार हैं।
इस तरह, पवन छापड़िया को सपा का उम्मीदवार नहीं माना जाता है। वह सिर्फ सपा के लोगों के बीच पॉपुलर नहीं हैं, बल्कि जगत जायसवाल के मुकाबले वह इस चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ भी दबदबा बनाने में कभी-कभी असफल रहते हैं। इसलिए, सपा का वोटर जगत जायसवाल के समर्थन में जाते हुए निर्णय ले सकते हैं।
क्या हो सकती है वोटर की सोच
वोटर की सोच विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि उम्मीदवार का प्रदर्शन, पार्टी की नीतियों का विश्वास, चुनावी मुद्दों का महत्व, विपक्ष के विरोध आदि।
इस समय, सपा ने जगत जायसवाल को अपना अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बनाया है, जो उनके पक्ष में एक प्रमुख कारक हो सकते हैं। इसके अलावा, सपा ने उम्मीदवार के रूप में बेहतर प्रदर्शन करने वाले युवा नेता को उतारा है, जो भाजपा के जवाबदेह उम्मीदवार के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करेंगे।
हालांकि, पवन छापड़िया का प्रचार भी वोटरों को प्रभावित कर सकता है, खासकर उन लोगों को जो उन्हें अच्छी तरह से जानते हैं या उनकी समस्याओं के लिए उन्हें संवेदनशील होते हैं। इसलिए, वोटरों की सोच बदलती रहती है और इसमें उम्मीदवारों और पार्टियों के द्वारा चुने गए मुद्दों और नीतियों का बड़ा हाथ होता है। वोटर खुद अपनी सोच के आधार पर उम्मीदवार का चयन करते हैं।
क्या वोटर करेंगे इनका समर्थन जब सपा मुखिया ने इन्हें लड़ने से मना किया था
वोटर खुद अपनी सोच के आधार पर उम्मीदवार का चयन करते हैं। अखिलेश यादव ने पवन छापड़िया को अध्यक्ष पद के लिए लड़ने से मना किया था, लेकिन अधिकांश वोटर अपनी सोच के आधार पर उम्मीदवार का चयन करते हैं और उनका फैसला किसी नेता या पार्टी की सलाह पर नहीं निर्भर करता है। इसलिए, इस स्थिति में वोटर के मन में भ्रम हो सकता है कि पार्टी के मुखिया ने इस उम्मीदवार को मना किया था, लेकिन वे अपनी सोच के आधार पर उम्मीदवार का चयन करेंगे।
अगर पवन छापड़िया अखिलेश यादव के निर्णय का सम्मान नही किया तो पार्टी इनके खिलाफ क्यो नही कर रही कार्यवाही
अखिलेश यादव ने पवन छापड़िया को चुनाव निशान वाली साइकिल पर अपने अध्यक्ष पद के लिए नहीं लड़ने की सलाह दी थी, लेकिन पवन छापड़िया इसका पालन नहीं कर रहे हैं और अध्यक्ष पद के लिए प्रचार कर रहे हैं। यह उस पार्टी की आंतरिक मामला है और उसका निर्णय उसी पार्टी के नेतृत्व द्वारा लिया जाएगा। पार्टी को उसके कार्यकर्ताओं को नियमों और नेतृत्व की बात का पालन करने की आवश्यकता होती है, लेकिन कोई निश्चित कार्रवाई नहीं की जाती है तो कुछ भी संभव हो सकता है
पवन छापड़िया एक व्यापारी समुदाय से संबंधित हैं और वो एक साफ छवि के नेता हैं। वे समाजसेवा के कार्यों में लगे रहते हैं और उन्होंने इस दौरान अपने क्षेत्र में संगठन का विस्तार भी किया है। छापड़िया का विचार है कि उन्हें समाज को नीचे से उठाना चाहिए और सभी वर्गों को एक साथ लेकर चलना चाहिए।
जगत जायसवाल भी एक युवा नेता हैं और पहले भी अध्यक्ष रह चुके हैं उनकी अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारी है। उनका विचार है कि सपा को समाजवादी पार्टी के और लोगों को फिर से सोचना चाहिए और अलग-अलग वर्गों में बटें लोगों को जोड़कर एक समूह का निर्माण करना चाहिए। जिसमे पवन छापड़िया का भी विश्वास हो, जायसवाल अपनी नैतिकता और शोध-परक अभिव्यक्ति के लिए जाने जाते हैं।
अगर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पवन छापड़िया को चुनाव लड़ने से मना किया था जिससे पार्टी में इस विषय पर विवाद हो गया है। अखिलेश यादव ने अपना फैसला लेते हुए कहा था कि ख़लीलाबाद में एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए ,, अभी भी मौका है, जिला समाजवादी पार्टी के नेतृत्व को चाहिए कि पवन छापड़िया को अपने विश्वास में लें तभी जगत जायसवाल की चुनावी नैय्या पर होगी वरना बीजेपी से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार श्याम सुंदर वर्मा की जीत पक्की है,. (लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं मिशन सन्देश समाचार पत्र के संपादक हैं)