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महिला पहलवानों के समर्थन में सर्वखाप पंचायत, 36 बिरादरियों के प्रतिनिधि तय करेंगे रणनीति

मुजफ्फरनगर। एक ओर पूरा देश महिला पहलवानों के समर्थन में खड़ा दिखाई दे रहा है, वहीं अब सर्वखाप पंचायत भी उनके समर्थन में आ गई है। भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सर्वखाप पंचायत के मुखिया चौधरी नरेश टिकैत के आह्वान पर सोरम गांव में सर्वखाप पंचायत बुलाई गई है। मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में 36 बिरादियों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।

आपको बता दें कि सोरम गांव जिला मुख्यालय से कुछ दूरी पर स्थित है। जहां पर चबुतरा है, जिस पर बैठकर सर्वखाप पंचायत के प्रतिनिधि पहलवानों के मामले को लेकर फैसला लेंगे। हालातों के मद्देनजर सर्वखाप की यह पंचायत बेहद ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है। क्योंकि इस महापंचायत में यूपी के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी अलग अलग जातियों की पंचायतों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। चूंकि यह पंचायत वेस्ट यूपी में आयोजित की जा रही है तो चौधरी नरेश टिकैत की राय को प्राथमिकता दी जा सकती है और नरेश टिकैत जो फैसला लेंगे, उसे ही सर्वमान्य घोषित किया जा सकता है।

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आपको बता दें कि सोरम गांव में अंतिम सर्वखाप पंचायत किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के आग्रह पर 2011 में बुलाई गई थी। कृषि कानूनों के खिलाफ हुए बड़े आंदोलन में भी यहां सर्वखाप पंचायत नहीं हुई। यही कारण है, आज हो रही पंचायत को खासा महत्व दिया जा रहा है। सर्वखाप पंचायत के बाद बृजभूषण सिंह बनाम पहलवानों के दंगल का केंद्र पश्चिम उत्तर प्रदेश बन सकता है, क्योंकि पहलवानों ने पहली बार हरियाणा को छोड़कर पश्चिम उत्तर प्रदेश से जुड़े किसान नेता राकेश टिकैत और नरेश टिकैत पर अंतिम फैसला छोड़ दिया है।

सोरम गांव में स्थित एक विशेष चबुतरे पर सर्वखाप पंचायत के सभी प्रतिनिधि जुटे हुए हैं। इस पंचायत में न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड से 36 बिरादरियों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया है। इस महापंचायत में 5000 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत, प्रवक्ता राकेश टिकैत और गठवाला खाप के थांबेदार श्याम सिंह भी मौजूद हैं। महापंचायत से पहले नरेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली के जंतर-मंतर पर जो हुआ वह ठीक नहीं था। सरकार को समझना चाहिए कि पहलवान भी देश की बेटियां हैं। उन्हें न्याय मिलना चाहिए। सोरम में आज होने वाली महापंचायत में विवाद का हल निकालने के लिए फैसला लिया जाएगा।

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खाप पंचायत हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में मिलती हैं। दरअसल, ये पारंपरिक पंचायते हैं, जो अंग्रेजी शासन काल से पहले से चली आ रही है। खाप पंचायत में उस बिरादरी के लोग कुछ वरिष्ठ लोगों का चयन करते हैं और बिरादरी में होने वाले विभिन्न मसलों पर फैसला देने का अधिकार प्रदान करते हैं। एक गोत्र या फिर एक बिरादरी के लोग, कई गोत्रों के लोग या एक गोत्र के कई गांव मिलकर बना सकते हैं। खाप एक गोत्र के पांच गांवों की हो सकती है या फिर एक अधिक ज्यादा गांवों की हो सकती है।

खाप पंचायत अपने इलाके में कुछ नियम-कानुनों को बनाए रखने के लिए जानी जाती है। ये नियम-कानून भी उनके ही बानए होते हैं जैसे कि गांव में कोई लड़ाई-झगड़ा होता है खाप इसे सुलझाती है। किसी परिवार में कलह है तो भी बहुत बार खाप को बुलाया जाता है। हर एक खाप का एक मुखिया होता है और दूसरे कुछ लोग विभिन्न पदों पर होते हैं जो उन्हें फैसलों में सपोर्ट करते हैं।

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इस खाप पंचायत में जहां एक ही बिरादरी के लोग शामिल होते हैं, वहीं सर्वखाप में सभी बिरादरी यानि जाति के लोग शामिल होते हैं। आज सोरम गांव में बुलाई गई सर्वखाप पंचायत का मतलब यह है कि इस महापंचायत में सभी जातियों की खाप के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

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