आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने ज्ञानवापी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अफसोसजनक बताया है. इसके साथ-साथ बोर्ड ने आशंका व्यक्त की है कि अब देश में पूजा स्थलों से जुड़े कानून के उल्लंघन के लिए दरवाजे खुल जाएंगे. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर हाई कोर्ट के एएसआई सर्वे के आदेश पर रोक लगाने से इनकर कर दिया था.
बोर्ड ने कहा है कि उसे उम्मीद थी कि चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ वाली पीठ पूजा स्थलों से संबंधित कानून के संदर्भ में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाएगी लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इसके विपरित फैसला दिया है जो कि दुखद और निराशाजनक है. इससे बोर्ड के साथ-साथ मुसलमानों को गहरी निराशा हुई है. बोर्ड ने कहा कि पिछली बार के सर्वे में एक फव्वारे को कथित तौर पर शिवलिंग बताया गया था और लोगों को उसके पास जाने से रोक दिया गया.
बोर्ड ने कहा है कि देश के मुसलमानों को इस बाद का डर है कि एएसआई सर्वे के बाद एक नया विवाद पैदा हो जाएगा, ऐसे में इसे अभी रोका जाना चाहिए. बोर्ड ने पूजा स्थल कानून 1991 का हवाला देते हुए कहा कि यह लॉ पूजा स्थलों पर ऐसे किसी भी प्रकार की कार्रवाई को रोकता है, फिर भी एएसआई सर्वे किया जाना एक नए विवाद को जन्म दे सकता है.
जुलाई को जिला जज ने दिया था एएसआई सर्वे का आदेश
दरअसल, 21 जुलाई को वाराणसी जिला जज ने ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे कराने का आदेश दिया था. मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले पर तत्काल रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. जहां, सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर दो दिनों की रोक हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने का निर्देश दिया था. गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा जिसने एएसआई सर्वे का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक से किया इनकार
इसके बाद शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन अदालत ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगा सकता है. हालांकि, कोर्ट ने सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर में किसी भी तरह के तोड़-फोड़ की कार्रवाई से मना किया है.