नई दिल्ली। एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और पतंजलि का माफीनामा अस्वीकार कर दिया है। कोर्ट की अवमानना के मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के मामले में सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को आदेश जारी करेगा। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2018 से लेकर अब तक हरिद्वार के आयुर्वेदिक और यूनानी जिला अधिकारियों से दो हफ्ते में हलफनामा दायर कर बताने को कहा कि उन्होंने पतंजलि से जुड़ी शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इसको जानबूझ कर कोर्ट के आदेश की अवहेलना मान रहे हैं। हम इस हलफनामे को ठुकरा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि पतंजलि और रामदेव बार-बार हमारे आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण कोर्ट के समन को झूठ बोलकर नजरअंदाज करते रहे। वे कोर्ट में नहीं आने का बहाना करते रहे। वे कहते रहे कि वे विदेश यात्रा पर जा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने हलफनामा भी दाखिल किया। कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के फ्लाइट के टिकटों का जिक्र करते हुए कहा कि हलफनामा 30 मार्च की तिथि का था, जबकि फ्लाइट के टिकट 31 मार्च के थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड सरकार के ड्रग ऑफिसर और लाइसेंसिंग ऑफिसर को सस्पेंड किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि ऐसा छह बार हुआ है लेकिन लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर चुप रहा। दिव्य फार्मेसी पर अधिकारी की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं बनाई गई। उन तीनों अधिकारियों को तुरंत निलंबित कर दिया जाना चाहिए।