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रंजन गोगोई ने राज्यसभा सदस्य के रूप में ली शपथ,,कांग्रेस सांसदों ने लगाए शेम-शेम के नारे,,गोगोई ने अपने मनोयन पर दी सफाई

नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi)ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली. इस दौरान कांग्रेस सांसदों ने शेम-शेम के नारे लगाए. कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने गोगोई की नियुक्ति को न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमले बताकर इसकी आलोचना की है. उन्हें सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए नामित किया था. मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने से एक पहले गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने अयोध्या मसले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था.
उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर गोगोई जैसे ही शपथ लेने निर्धारित स्थान पर पहुंचे, वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने शोर शराबा शुरू कर दिया. इस पर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि ऐसा व्यवहार सदस्यों की मर्यादा के अनुरूप नहीं है. इसके बाद गोगोई ने सदन के सदस्य के रूप में शपथ ली.

चार महीने पहले शीर्ष न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पद से रिटायर हुए जस्टिस गोगोई ने अपनी नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा था कि संसद में उनकी मौजूदगी विधायिका के सामने न्यायापालिका के रुख को रखने का एक अवसर होगी. उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका और विधायिका को राष्ट्र निर्माण के लिए मिलकर काम करने की ज़रूरत है. गोगोई ने कहा था कि राज्यसभा में अपनी मौजूदगी के ज़रिये वह न्यायपालिका के मुद्दों को असरदार तरीक़े से उठा सकेंगे.

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पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) को राज्यसभा में नामित करने के फैसले पर उनके पूर्व सहयोगी जस्टिस ने भी सवाल उठाए थे. इन सवालों के पीछे उनके अयोध्या और राफेल मामलों पर सुनाए गए फैसले हैं. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कुरियन जोसेफ (Kurian Joseph) ने कहा है कि भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामांकन की स्वीकृति ने निश्चित रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आम आदमी के विश्वास को हिला दिया है. जस्टिस गोगोई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर नेक सिद्धांतों से समझौता किया है.
जस्टिस रंजन गोगोई की नियुक्ति को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया गया था. समाजसेवी मधु किश्वर ने एक याचिका दाखिल करके गुहार लगाई है. किश्वर की याचिका में रिटायरमेंट के बाद जजों के किसी पद को स्वीकार करने, कूलिंग ऑफ पीरियड तय करने को लेकर गाइडलाइन तय करने की भी मांग की गई है.

 

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