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केंद्र की हीलाहवाली के बाद नोट बन्दी वाली 58 याचिकाओं पर फिर से सुनवाई स्थगित, SC ने बताया शर्मनाक

दिल्ली । नोटबंदी के दौरान 500 और 1 हजार के नोटों को बंद करने के मामले में चल रही सुनवाई फिर से एक बार स्थगित हो गई। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। केंद्र से इस मामले में एडिशनल जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था, लेकिन सरकार की तरफ से फिर एक बार समय मांगा गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी, लेकिन इसे शर्मनाक बताया।

जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना की संविधान पीठ ने पिछले महीने सरकार को अतिरिक्त जवाब दाखिल करने और आज अपनी दलीलें पेश करने का निर्देश दिया था। हालांकि, अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणि सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए, लेकिन उन्होंने जवाब दाखिल करने के लिए एक और सप्ताह का समय मांगा है।

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न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, “आम तौर पर एक संविधान पीठ इस तरह से स्थगित नहीं होती है। हम कभी भी इस तरह नहीं उठते हैं। यह अदालत के लिए भी बहुत शर्मनाक है।” हालांकि, अदालत ने एजी के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और अब अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस मामले में सुनवाई इस साल पूरी होनी चाहिए।

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह खुद भी स्थगन की मांग करने के लिए शर्मिंदा हैं, लेकिन केंद्र को समय चाहिए ताकि हम और बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकें। याचिकाकर्ता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने अदालत से याचिकाकर्ताओं की सुनवाई जारी रखने का अनुरोध किया है।

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उन्होंने कहा, “जहां तक ​​मुझे इस अदालत की प्रथा पता है। जब एक संविधान पीठ बैठती है.. तो स्थगन के लिए नहीं पूछना चाहिए। इस तरह का अनुरोध बहुत ही असामान्य है। इसलिए, मैं सुझाव दूंगा- यदि उन्हें समय की जरूरत है तो हम अपना सबमिशन खोलें और उसको पूरा करें।” बता दें कि 13 अक्टूबर को कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 6 साल पुराने फैसले की समीक्षा करने पर सहमति जताई थी। साल 2016 में केंद्र की मोदी सरकार ने नोटबन्दी का फैसला लिया था। इस मामले में 8 नवंबर, 2016 को पारित सर्कुलर को चुनौती दी गई है।

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