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2018 का बहुचर्चित मॉब लिंचिंग मामला: क़ासिम के हत्यारे 10 गौरक्षकों को आजीवन करावास की सज़ा, क्या था पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें पूरी ख़बर

लखनऊ। पिलखुवा में 2018 में हुई बहुचर्चित मॉब लिंचिंग मामले में मंगलवार को अपर जनपद न्यायाधीश पोस्को ने 10 आरोपियों को दोषी मानते हुए उम्रकैद और जुर्माना की सजा सुनाई है। गाय की तस्करी करने का आरोप लगाकर एक व्यक्ति की बेरहमी से हत्या करने से जुड़ा हुआ है। उत्तर प्रदेश के जिन तथाकथित 10 गौरक्षकों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है उन पर 58-58 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया गया है। पांच साल पहले इस घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश में तहलका मचा दिया था। उत्तर प्रदेश की अदालत में इस मामले में पूरे पांच साल तक ट्रॉयल चला है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुवा कस्बे का है। पिलखुवा का रहने वाला कासिम अपने साथी समयदीन के साथ पशुओं की खरीदारी का व्यापार करता था । 16 जून 2018 को दोनों गांव जा रहे थे।  रास्ते में भीड़ ने उन्हें गोकशी के शक में बुरी तरह पीट दिया । इसमें कासिम की मौत हो गई थी। जबकि समयदीन गंभीर रूप से घायल हो गया था। हापुड़ की अतिरिक्त जिला जज (POCSO) श्वेता दीक्षित की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मंगलवार को फैसला सुनाया। स्थानीय कोर्ट ने धौलाना के बझैड़ा गांव के राकेश, हरिओम, युधिष्ठिर, रिंकू, करनपाल, मनीष, ललित, सोनू, कप्तान और मांगेराम को दोषी पाया है ।

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कोर्ट ने गोकशी की झूठी अफवाह फैलाने पर इन 10 लोगों को 45 वर्षीय कासिम की हत्या और समयदीन (62) पर हमला करने का दोषी ठहराया है। सरकारी वकील विजय चौहान के मुताबिक, कोर्ट ने सभी दोषियों पर 58-58 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि पीड़ित पक्ष की दोषियों से कोई दुश्मनी नहीं थी । वे सिर्फ न्याय चाहते हैं। उन्होंने कोर्ट से दोषियों को मौत की सजा ना देने का भी अनुरोध किया था। परिवार का कहना था कि 16 जून को किसी ने फोन कर कासिम को पशु खरीदने के लिए बुलाया था। बाद में पता चला कि उनकी हत्या कर दी गई ।

सरकारी वकील चौहान ने बताया कि पुलिस ने इस घटना को बाइक एक्सीडेंट का एंगल देते हुए झूठी एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन समयदीन के सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद जांच पटरी पर आई। समयदीन ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी। उसके बाद कोर्ट ने सुरक्षा प्रदान करने और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज करने का निर्देश दिया था। SC ने आईजी (मेरठ जोन) को जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया था। इसके बाद इस मामले की जांच में तेजी आई। पुलिस ने यह दावा भी कर दिया था कि ये घटना रोडरेज की वजह से हुई, जिसके बाद गुस्साई भीड़ ने कासिम पर हमला कर दिया और समयदीन कासिम को बचाने आया तो उस पर भी हमला किया गया।

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पीड़ित परिवार का कहना था कि गोरक्षा के नाम पर आतंक फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही इसलिए वो बेखौफ हैं।

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