- बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत में तय हुए आरोप
- 6 दिसंबर 1992 को जब ढांचा गिराया गया था, तब कल्याण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे
लखनऊ. सीबीआई की विशेष अदालत में उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के खिलाफ बाबरी विध्वंस मामले में दो समुदाय में वैमनस्य फैलाने के तहत आरोप तय हुए हैं। उन्हें दो लाख रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराई गई थी, उस समय कल्याण सिंह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री थे। राजस्थान के राज्यपाल के रूप में कार्यकाल पूरा करने के बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने कल्याण सिंह को कोर्ट में पेश होने के लिए आदेश जारी किया था।
कल्याण सिंह शुक्रवार को सीबीआई कोर्ट में पेश हुए। उनके खिलाफ 153 ए और 153 बी सहित कई धाराओं में आरोप तय किए गए। कल्याण सिंह के राजस्थान के राज्यपाल पद से हटने के बाद सीबीआई से कोर्ट ने दस्तावेजी प्रमाण की मांग की थी। अब तक सीबीआई की तरफ से दस्तावेज पेश न करने के बावजूद कोर्ट ने यह आदेश किया है। आईपीसी की धारा 153 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल आदि के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं। इसके तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
राजस्थान का राज्यपाल होने के कारण कल्याण सिंह को इस मामले में अब तक अनुच्छेद 361 के तहत कार्रवाई से छूट मिली थी। कल्याण सिंह को छोड़कर बाकी आरोपियों को कोर्ट से जमानत मिली हुई है। कल्याण सिंह को 3 सितंबर, 2014 को पांच साल के लिए राज्यपाल नियुक्त किया गया था। राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल पिछले दिनों ही खत्म हुआ है। सीबीआई ने 1993 में अन्य अभियुक्तों के साथ-साथ कल्याण सिंह के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया था।
सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को आदेश दिया था, जिसमें कल्याण सिंह के अलावा लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्यगोपाल दास, विनय कटियार, सतीश प्रधान, चंपत राय बंसल, विष्णु हरि डालमिया, नृत्य गोपाल दास, सतीश प्रधान, आरवी वेदांती, जगदीश मुनि महाराज, बीएल शर्मा (प्रेम) और धर्म दास को आरोपी मानते हुए मुकदमा चलाने की बात कही थी।
साभार दैनिक भास्कर