फैसला / आरबीआई ने लक्ष्मी विलास बैंक को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क में डाला
- इसमें शामिल बैंक नए कर्ज नहीं दे सकते, नई शाखाएं नहीं खोल सकते
- एनपीए बढ़ने, पर्याप्त पूंजी नहीं होने पर किसी बैंक को पीसीए में डाला जाता है
- लक्ष्मी विलास बैंक के निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी की जांच भी चल रही
मुंबई. आरबीआई ने लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) को शुक्रवार को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क में डाल दिया। एलवीबी ने शनिवार को रेग्युलेटरी फाइलिंग में यह जानकारी दी। बैंक ने बताया कि नेट एनपीए ज्यादा होने, अपर्याप्त कैपिटल टू रिस्क-वेटेड असेट्स रेश्यो (सीआरएआर) और कॉमन इक्विटी टियर 1 (सीईटी1) जैसी वजहों से आरबीआई ने कार्रवाई की।
क्या है पीसीए ?
हालांकि, यह पता नहीं चल पाया है कि लक्ष्मी विलास बैंक पर कौन-कौन से प्रतिबंध लागू होंगे। लेकिन, पीसीए फ्रेमवर्क के मुताबिक आरबीआई को जब लगता है कि किसी बैंक के पास जोखिम का सामना करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है। आय नहीं हो रही या एनपीए बढ़ रहा है तो उस बैंक को पीसीए में डाल दिया जाता है। पीसीए में शामिल बैंक नए कर्ज नहीं दे सकते और नई ब्रांच नहीं खोल सकते।
निदेशकों पर 790 करोड़ रुपए की हेरा-फेरी के आरोप
धोखाधड़ी के आरोप में एलवीबी के निदेशकों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा जांच कर रही है। बैंक अधिकारियों पर 790 करोड़ रुपए के गबन के आरोप हैं। वित्तीय सेवा कंपनी रेलिगेयर फिनवेस्ट की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने केस दर्ज किया था। रेलिगेयर का कहना है कि उसने 790 करोड़ रुपए की एफडी की थी, जिसमें से हेरा-फेरी की गई है। पुलिस ने कहा कि शुरुआती जांच में ऐसा लग रहा है कि पैसों में हेराफेरी योजना बद्ध तरीके से की गई। ये रिपोर्ट शुक्रवार को सामने आई।
एलवीबी का शेयर शुक्रवार को 5% लुढ़का
बैंक के निदेशकों पर केस दर्ज होने की खबर से बीएसई पर शेयर शुक्रवार को 4.94% गिरावट के साथ 36.55 रुपए पर बंद हुआ। एनएसई पर 4.95% नीचे 36.50 रुपए पर क्लोजिंग हुई।
साभार दैनिक भाष्कर